दूसरे देशों में रहने वाले प्रवासी पितृपक्ष में अस्थि विसर्जन और पिंडदान के लिए तीर्थ पुरोहितों से संपर्क कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश प्रयागराज

सफल समाचार 
आकाश राय 

नीदरलैंड्स से रामकृष्ण, मारीशस से अजय मिश्रा और कनाडा से रामानंद और शिव कुमार ने जय त्रिवेणी जय प्रयाग संस्था से संपर्क किया है। जस्ट डायल के जरिये भी दूसरे देशों में रहने वाले प्रवासी पितृपक्ष में अस्थि विसर्जन और पिंडदान के लिए तीर्थ पुरोहितों से संपर्क कर रहे हैं।

सात समंदर पार रहने वाले प्रवासी पितृपक्ष में पितरों के तर्पण-अर्पण की सनातनी परंपरा के जरिये अपनी जड़ों से जुड़ेंगे। नीदरलैंड्स, मारीशस और कनाडा से कई प्रवासियों ने संगम पर पिंडदान के लिए तीर्थ पुरोहितों से संपर्क किया है। 30 सितंबर से पितृपक्ष आरंभ होगा। पितृपक्ष आरंभ होने से पहले ही तीर्थपुरोहितों की चौकियों पर वंशजों की ओर से संपर्क साधा जाने लगा है।

गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर पितृपक्ष में श्राद्ध और पिंडदान से पूर्वजों को मोक्ष मिलने की पौराणिक मान्यता रही है। आम धारणा है कि संगम तट पर पिंडदान करने से पितरों को शांति मिल जाती है। ऐसे में संगम तट पर पिंडदान के लिए देश के कई हिस्सों से लोग पहुंचेंगे। वहीं, इस बार कई अन्य देशों में भी रहने वाले प्रवासी पिंडदान के लिए संगम आने वाले हैं।

नीदरलैंड्स से रामकृष्ण, मारीशस से अजय मिश्रा और कनाडा से रामानंद और शिव कुमार ने जय त्रिवेणी जय प्रयाग संस्था से संपर्क किया है। जस्ट डायल के जरिये भी दूसरे देशों में रहने वाले प्रवासी पितृपक्ष में अस्थि विसर्जन और पिंडदान के लिए तीर्थ पुरोहितों से संपर्क कर रहे हैं। जय त्रिवेणी जय प्रयाग के अध्यक्ष प्रदीप पांडेय ने बताया कि अब तक चार प्रवासी पिंडदान के लिए समय निर्धारित करा चुके हैं।
प्रयागवाल सभा के महामंत्री रितुराज चंद्र मिश्र के मुताबिक इस बार पड़ोसी देश नेपाल, इंडोनेशिया और मारीशस से भी पूर्वजों के प्रति श्रद्धा अर्पित करने के लिए वंशज प्रयागराज आएंगे।

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