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शेर मोहम्मद
देवरिया। सत्ताईस वर्ष से बंद गौरीबाजार चीनी मिल का कबाड़ काटने के लिए रविवार को आए कोलकाता के मजदूरों को मिल के श्रमिकों और किसानों ने घेर लिया। उन्हें कबाड़ काटने से मना कर दिया। जब वह नहीं माने तो उन्हें विरोध-प्रदर्शन करते हुए मिल में घुसने से रोक दिया। इसको लेकर काफी देर तक हंगामा होता रहा। गुस्सा देख कबाड़ काटने आए मजदूर भाग गए। उनके जाने के बाद प्रदर्शनकारी शांत हुए।
ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन ने 1914 में गौरी बाजार चीनी मिल को स्थापित किया था। वर्ष 1996 में मिल बंद कर दी गई। इसके बाद चीनी मिल 17,15 करोड़ के दाम पर राजेंद्र इस्पात प्राइवेट लिमिटेड कोलकाता के हाथों बेंच दी गई। इस मिल पर किसानों एवं मिल श्रमिकों का 24 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है, जिसके भुगतान को लेकर मिल श्रमिक एवं किसान पिछले आठ वर्षों से लगातार आंदोलन कर रहे हैं। उच्च न्यायालय के निर्देश पर उप श्रमायुक्त गोरखपुर में दो बार में क्रमशः 14.2 करोड़ तथा 13.4 करोड़ की आरसी जारी कर प्रशासन एवं राजस्व कर्मियों को चीनी मिल की जमीन बेचकर एक पखवाड़े के अंदर बकाए भुगतान का निर्देश दिया था, लेकिन यह मामला अधर में लटक कर रह गया।
इसी बीच मिल के मालिक ने मजदूरों भेजा। रविवार की सुबह काफी संख्या में मजदूर ट्रेन से कटर एवं अन्य उपकरण लेकर मिल में कबाड़ काटने पहुंचे। कबाड़ काटने के लिए पहुंचे मजदूरों के बारे में श्रमिक नेताओं को जानकारी हो गई। इसके बाद मजदूर व किसान मिल पर पहुंच गए। वह मजदूरों को कबाड़ काटने से रोक दिए। श्रमिक नेता इन्हें खदेड़ कर भगा दिए। इसके बाद मिल गेट पर प्रदर्शन कर विरोध जताया और बैठक करने लगे। श्रमिक नेता ऋषिकेश यादव ने कहा कि कुछ माह पहले प्रबंधन ने एक दर्जन श्रमिकों को कटर एवं अन्य उपकरणों के साथ मिलकर कबाड़ काटने के लिए भेजा था, जिसका किसानों, मिल श्रमिकों ने विरोध किया था। उन्होंने कहा कि किसी भी में जब तक बकाया भुगतान होने तब तक मिल के अंदर किसी को प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। इसके लिए हर कीमत पर विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। इस दौरान रामवृक्ष प्रधान, हंसराज, कपिल देव यादव, अदालत अली, कौशल किशोर सहित सैकड़ों की संख्या में किसान, मजदूर मौजूद रहे।