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सुनीता राय
प्रो. अंकुर ने बताया कि कुलपति प्रो. पूनम टंडन के समक्ष भी उन्होंने अपनी बात रखी है। इसमें उन्होंने अपनी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आग्रह किया है। कुलपति ने नियमानुसार कार्यवाही का आश्वासन दिया है।
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. चंद्रभूषण गुप्त ‘अंकुर’ के प्रोफेसर कक्ष और लाइब्रेरी पर अर्थशास्त्र विभाग के दो असिस्टेंट प्रोफेसर को कब्जा दिलाए जाने का मामला राजभवन पहुंच गया है। राजभवन ने इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन से जांच कराकर नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
बीते 19 अप्रैल को तत्कालीन कुलपति प्रो. राजेश सिंह के निर्देश पर नियंता प्रो. गोपाल प्रसाद ने इतिहास के विभागाध्यक्ष प्रो. चंद्रभूषण अंकुर व एसोसिएट प्रोफेसर मनोज तिवारी का कक्ष (कला संकाय भूतल) सील कर दिया था। इसके करीब चार महीने बाद तत्कालीन नियंता डॉ. सत्यपाल सिंह ने 16 अगस्त को डॉ मनोज का कक्ष उन्हें सौंप दिया, जबकि प्रो. अंकुर के कक्ष का सील तोड़कर अर्थशास्त्र विभाग के दो असिस्टेंट प्रोफेसरों को कब्जा दिला दिया था।
इस मामले में प्रो. अंकुर ने कुलपति के साथ ही कुलाधिपति को पत्र लिखकर अपने चेंबर और विभागीय पुस्तकालय के लिए वही कक्ष या वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध कराने की मांग की थी। इस मामले को लेकर करीब एक साल से अर्थशास्त्र और इतिहास विभाग में खींचतान चल रही है। यह मामला दोनों विभागों के शिक्षकों की नाक की लड़ाई बन गया है। अब कुलाधिपति के ओएसडी डॉ पंकज एल जानी ने कुलपति को पत्र लिखा है।
कुलपति के समक्ष भी रखी बात
प्रो. अंकुर ने बताया कि कुलपति प्रो. पूनम टंडन के समक्ष भी उन्होंने अपनी बात रखी है। इसमें उन्होंने अपनी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आग्रह किया है। कुलपति ने नियमानुसार कार्यवाही का आश्वासन दिया है। वहीं कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने इस संबंध में बताया कि यह विभागीय स्तर का मामला है। इस मामले में जो भी न्यायोचित होगा, उसे मीटिंग कर सुलझा लिया जाएगा।