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शेर मोहम्मद
सलेमपुर। पर्यटन केंद्र मझौलीराज का दीर्घेश्वरनाथ मंदिर उपेक्षा का शिकार है। 29 वर्ष पहले पर्यटन केंद्र घोषित होने के बावजूद उसका अपेक्षित विकास नहीं हो पाया। इसके चलते पर्यटक आकर्षित नहीं हो रहे हैं।
तहसील मुख्यालय से छह किमी उत्तर मझाैलीराज में सोहगरा मार्ग पर दीर्घेश्वरनाथ मंदिर स्थित है। हिरण्यावती नदी के तट पर स्थित पौराणिक दीर्घेश्वरनाथ मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जोड़ा जाता है। यहां श्रावण मास में ही नहीं बल्कि प्रत्येक सोमवार व शुक्रवार को भक्तों की भीड़ उमड़ती है। मंदिर की मान्यता है कि यह शिवलिंग स्वयंभू है। किवदंतियों के अनुसार यहां प्रतिदिन अश्वत्थामा पूजा-अर्चना करने आते थे। मस्तक के घाव के कारण अश्वत्थामा आज भी तड़पते और इधर-उधर भटकते हैं। इसके चलते अश्वत्थामा इस मंदिर में रात के तीसरे पहर में आते हैं तथा भगवान शिव की पूजा करके चले जाते हैं। सुबह जब मंदिर का द्वार खोला जाता है तो यहां सारी पूजन-सामग्री शिवलिंग पर चढ़ी मिलती है।
मंदिर के महंथ जगरनाथ महाराज ने बताया कि वर्षों पुराना मंदिर का जिस प्रकार से विकास होना चाहिए वह नहीं हो रहा है‚ जबकि इस स्थान को वर्ष 1994 में तत्कालीन पर्यटन मंत्री रहे एमए लारी ने पर्यटन केंद्र घोषित कर मंदिर परिसर के विकास के लिए बजट आहरित किया था। इसके बावजूद मंदिर का विकास नहीं हो सका। चार साल पहले 2.23 करोड़ रुपये केंद्र सरकार ने पर्यटन केंद्र दीर्घेश्वरनाथ मंदिर के लिए आहरित किया, लेकिन ठेकेदार की लापरवाही के चलते आज भी उस पैसे का कहां व्यय हुआ, इसका पता नहीं है। कई बार अधिकारियों को पत्र लिखने के बाद भी ठेकेदार पर कोई असर नहीं पड़ा। यहां पार्वती सरोवर आज भी उपेक्षित है। कभी इस सरोवर के जल से भगवान शिव का अभिषेक होता था, आज सरोवर में गंदगी के चलते आसपास खड़े होना भी दुश्वार है।