शेर मुहम्मद
सफल समाचार
देवरिया। शहर के तालाबों का ब्योरा नगर निकाय नहीं दे पा रहे हैं। इसके पीछे कारण है कि जिन स्थानों पर पहले तालाब थे, वहां अब लोगों के आशियाने बन चुके हैं। शहर के धोबी घाट और अन्य एक तालाब का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है। जबकि पांच तालाबों पर अतिक्रमण होने के कारण उनका दायरा काफी सिमट गया है। तालाबों की पड़ताल करने पर पता चला कि तालाबों की भूमि को पाटकर करीब 150 मकान खड़े कर दिए गए हैं।
वर्ष 1952 के रिकाॅर्ड पर गौर किया जाए तो नगर पालिका क्षेत्र में चौदह तालाब हैं। इसमें से परमार्थी, हनुमान मंदिर, गायत्री मंदिर, हाथीकुंड, देवरही मंदिर, सोमनाथ मंदिर, बेरमहिया मंदिर को संरक्षित किया गया है। जबकि अन्य छोटे पोखरों को संरक्षित करने में विभाग असफल रहा है। हालत यह रही कि जिस तालाब के नाम से क्षेत्र की पहचान थी, उस तालाब का वजूद ही समाप्त हो चुका है। लावारिस होने के कारण भू-माफिया की भी नजर इन तालाबों पर गड़ी रही। तालाब की जमीन पर अवैध कब्जे कर बड़े-बड़े आशियाना खड़े हो गए।
रेल लाइन के किनारे नेहरू नगर में धोबी घाट से तालाब जाना जाता था, लेकिन इस समय स्थिति यह है कि यहां पर 35 मकान बन चुके हैं। चकियवा मार्ग पर एक तालाब था, जिसकी जमीन पर करीब 70 मकान बन चुके हैं। बेरमहिया पोखरे पर अतिक्रमण कर करीब दस भवन बन चुके हैं। हाथीकुंड पोखरे की जमीन पर 20 मकान बन चुके हैं। अब इन पोखरों का हिसाब देने में नगर पालिका कन्नी काट रही है, क्योंकि पूरा ब्योरा एक सप्ताह में नगर विकास मंत्रालय ने वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा गया है। यहां तक कि शहर के लेखपाल भी इन पोखरों के बारे में नहीं बता पा रहे हैं। अब सवाल खड़ा होता है कि अगर पोखरों पर कब्जा है तो कैसे हटेगा, क्योंकि निर्माण के समय इन्हें न रोका गया और न टोका गया। इसके कारण एक के बाद एक आशियाने खड़े होते गए।विभागीय मिलीभगत से पास होते गए नक्शे
देवरिया। शहर में तालाब और सार्वजनिक जमीनों पर बने मकानों का नक्शा विभागीय मिलीभगत से पास हो गया। इसके कारण नियमों की अनदेखी कर मकान खड़े हो गए। विभागीय सूत्रों के अनुसार जमीन के सौदागरों की गहरी पैठ विनियमित प्राधिकारी कार्यालय में भी है। इसके कारण जमीन बेचने के साथ ही नक्शा पास हो गया।
ग्रामीण क्षेत्रों में भी है कब्जा
देवरिया। जिले की सभी तहसीलों में तालाब, पोखरा और अन्य जलस्रोतों की जमीन पर कब्जा है। विभाग के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो पांच तहसीलों की 5.661 हेक्टेयर भूमि पर लोगों ने कब्जा कर रखा है। कई बार प्रयास करने के बाद भी इन जगहों से कब्जा नहीं हट पाया है।
देवरिया सदर, बरहज, सलेमपुर, रुद्रपुर और भाटपाररानी तहसील के तालाब, पोखरा और अन्य सार्वजनिक जलाशयों के बारे में शासन से मांगी गई रिपोर्ट पर गौर किया जाए तो कागज में 2221 तालाब हैं। इनकी 5.807 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर अतिक्रमण है। हालांकि दो बार चले अभियान में कुछ स्थानों से कब्जा हटवाया भी गया है। इसी तरह जिले की अन्य नगर निकायों में भी तालाबों पर कब्जा है। जिसका ब्योरा नगर निकाय नहीं दे पा रही हैं।
तालाब और अन्य सार्वजनिक जमीनों से अभियान चलाकर अतिक्रमण हटवाया जाता है। इसकी जानकारी सभी तहसीलों से जुटाई जाएगी। नगर निकाय क्षेत्र का ब्योरा तैयार कर कार्रवाई की जाएगी।
– गौरव श्रीवास्तव, एडीएम प्रशासन