मनमोहन राय
सफल समाचार
पीजीआई अग्निकांड में जिस 31 दिन के मासूम की मौत हुई, उसके इलाज के लिए परिजन ने जमीन तक गिरवी रख दी थी। आयुष्मान योजना के भी पैसे आ गए थे। ऐसे में लगा कि वह ठीक हो जाएगा, लेकिन बीमारी के बजाय हादसे में जान गंवा बैठा। आरोप है कि पीजीआई प्रशासन ने घटना के 24 घंटे बाद मासूम का शव सौंपा।
ओटी में सोमवार दोपहर लगी आग में पीलीभीत निवासी तैयबा और 31 दिन के मासूम की मौत हो गई थी। गाजीपुर निवासी उसके पिता बृजभूषण ने मंगलवार को आरोप लगाया कि हादसे के बाद उन्होंने बेटे का शव मांगा तो पीजीआई प्रशासन का कहना था कि मीडिया के लोग हैं, इसलिए अभी शव नहीं दे सकते। इसके बाद बृजभूषण व अन्य परिजन ने पीजीआई में ही फुटपाथ पर रात गुजारी। मंगलवार दोपहर पुलिस पहुंची। करीब तीन बजे पीजीआई प्रशासन ने बच्चे का शव दिया।
… और फिर आई मौत की खबर
परिजन ने बताया कि बच्चे के दिल में छेद था। आजमगढ़ में उसका इलाज कराया। वहां से पीजीआई रेफर किया गया। पैसे कम पड़े तो एक लाख 10 हजार रुपये में जमीन गिरवी रखी। आयुष्मान योजना के तहत पैसे आ गए थे। सोमवार सुबह करीब दस बजे उसे ओटी में ले जाया गया। पिता बोले, हम सभी बाहर इंतजार कर रहे थे कि कुछ देर में ऑपरेशन पूरा होने की जानकारी मिलेगी, लेकिन इसी दौरान आग लग गई। भगदड़ मची और फिर बेटे की मौत की खबर आई।
अधिक खून बहने से बच्चे की गई जान
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि महिला की जलने से जान गई। शरीर सौ फीसदी जल चुका था। बच्चे की मौत अधिक खून बहने से हुई। जब आग लगी तब उसका ऑपरेशन चल रहा था। इसका मतलब उसे उसी स्थिति में छोड़ दिया गया। इससे ज्यादा खून बह गया और मासूम की मौत हो गई