जांच में दोषी पाए गए 33 चकबंदी अधिकारी और कर्मचारी, एफआईआर के निर्देश

उत्तर प्रदेश बलिया

रिन्कु तिवारी
सफल समाचार

बैरिया। तहसील के दलन छपरा गांव में चकबंदी के दौरान हुई धांधली की शिकायत पर मुख्यालय से आई जांच टीम ने जांच की। टीम की रिपोर्ट के बाद चकबंदी आयुक्त ने चकबंदी विभाग के कुल 33 कर्मचारियों के विरुद्ध अभिलेखों में कूटरचना करने के आरोप में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश जिलाधिकारी एवं जिला उपसंचालक चकबंदी को दिया है। यह कार्रवाई दलनछपरा निवासी समाजसेवी सुशील कुमार पांडेय और सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त की ओर से चकबंदी आयुक्त को की गई शिकायत पर की गई है।

सांसद की शिकायत के बाद मामले की जांच के लिए मुख्यालय के बंदोबस्त अधिकारी और चकबंदी अधिकारी की जांच टीम गठित की गई थी। इसकी रिपोर्ट बंदोबस्त अधिकारी मतदीन मौर्य, चकबंदी अधिकारी अखिलेश कुमार ने चकबंदी आयुक्त को सौंप दी है। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि दलनछपरा में कई कूटरचित आदेशों के माध्यम से व्यापक अनियमितता की गई है। इसमें 3.12 एकड़ को मतरुक दिखाकर नवीन परती करते हुए उसपर चकबंदी अधिकारी का फर्जी आदेश से किसी अन्य के नाम अंकित कर दिया गया। इसके अतिरिक्त चक संख्या 777, 1201, 1504 पर आधार वर्ष के खाता संख्या 1030 शासकीय भूमि पर कई फर्जी आदेशों को अंकित किया गया।

सुशील कुमार पांडेय की शिकायत को जांच समिति ने सही पाया। अभिलेखों में व्यापक फर्जी पाए जाने की पुष्टि की गई। ऐसे में चकबंदी आयुक्त ने सूची में अंकित दोषी पाए गए सभी कर्मियों के विरुद्ध एफआईआर अंकित करते हुए समिति द्वारा दिए गए सुझाव के अनुसार ग्राम का अंतिम अधिकार अभिलेख का सघन अनुसरण 6 माह में पूर्ण करने का निर्देश दिया है।
चकबंदी आयुक्त ने सूची में अंकित चकबंदी के नौ लेखपाल, चकबंदी कर्ता के चार, सहायक चकबंदी अधिकारी पांच, चकबंदी अधिकारी 11, बंदोबस्त अधिकारी चार कुल 33 चकबंदी कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है। साथ ही निर्देशित किया कि फिर से अभिलेख तैयार किया जाए। बंदोबस्त अधिकारी के द्वारा प्रत्येक सप्ताह इस कार्य की जांच की जाए। चकबंदी आकार 23 भाग एक को पूर्ण निर्मित करते हुए 6 माह में पूरा करने को कहा है।

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