यह देखिए तमकुहीराज पुलिस का कारनामा*

उत्तर प्रदेश कुशीनगर

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यह देखिए तमकुहीराज पुलिस का कारनामा*

 

*थाने के अंदर बंद बालू कि ओवरलोड ट्रक से बालू गायब होने का मामला अभी चर्चा में ही था कि अब मामला गोबध के नेटवर्क और दागी पुलिसकार्मियों के कुत्सित गठजोड़ का सामने आया हैं। पीड़ित रंजीत पुत्र हरिनाथ निवासी जौरा मनराखन के भाई द्वारा बताई गयी कहानी के मुताबिक उसके भाई रंजीत ने प्राइवेट फाइनेंस के माध्यम से एक पिकप यु पी 57 ए टी /9594 खरीदा था जिसका किस्त फेल होने पर फाइनेन्स कम्पनी ने उक्त पिकप को खिंचवा कर अपने कब्जे में लें लिया और वहां से फाइनेन्स कम्पनी ने उक्त पिकप को किसी को बेंच/हैण्डओवर कर दिया। बाद में यह पिकप गाय के तस्करी के मामले में तमकुहीराज थाने में पकड़ ली गयी और कुछ दिन बाद इस घटना से बेखबर पिकप स्वामी रंजीत singh को तमकुहीराज पुलिस ने पकडकर जेल भेज दिया। लगभग दो महीने बाद जब रंजीत जेल से छुट्ट कर आया और अपना पिकप जिला जज से रिलीज कराकर पांच जनवरी को तमकुहीराज थाने पहुंचा तो पता चला की उस पिकप को तो पिछले पांच या छः दिसम्बर को ही आपके द्वारा थाने से रिलीज कराकर लें जाया जा चूका हैं। थाने में यह बात सुनकर रंजीत के पैरो तले जमीन खिसक गया की आखिर यह कौन रंजीत हैं यह सोचकर रियल रंजीत परेशान हो गया। पीड़ित के अनुसार मामला एक बार फिर कोर्ट पहुंचा हैं तो आनन फानन में अपना गर्दन बचाने के लिए तमकुहीराज पुलिस फर्जी रंजीत सिंह से गाड़ी रिकवर कर थाने लायी हैं और असली रंजीत सिंह को फोन कर रही हैं की आकर अपनी गाडी लें जाईये लेकिन पीड़ित ने फिलहाल यह कहकर टाल दिया हैं की वह कोर्ट के माध्यम से ही गाड़ी लेंगे। यह मामला कितना हास्यास्पद हैं की जिस रंजीत को तमकुहीराज पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था उसे नहीं पहचान पाए और फर्जी रंजीत सिंह के नाम से गाड़ी रिलीज कर दिया। अपने करतूत पर पर्दा डालने के लिए तमकुहीराज पुलिस यह कहानी गढ़ सकती हैं की उन्होंने फर्जी रंजीत के पक्ष में गाड़ी रिलीज नहीं किया हैं गाड़ी थाने में ही ख़डी हैं अगर पुलिस की यह कहानी हैं तो उन लोगो ने थाने में रिलीज आर्डर लेकर पहुंचे असली रंजीत को गाड़ी सुपुर्द क्यों नहीं किया??इसके बाद के कहानी पर ध्यान देना आवश्यक हैं कि जब पुलिस को पता चल गया कि फर्जी रंजीत सिंह बनकर कोई दीगर ब्यक्ति पिकप लें गया हैं तो अपना गर्दन फंसता देख कर पिकप तो लेकर थाने में खड़ा कर दिया गया लेकिन फर्जीवाड़ा करने वाले को अभयदान दे दिया गया जो यह प्रमाणित करने के लिए काफ़ी हैं कि थाने वालो कि मिलीभगत से फर्जी रंजीत सिंह को गाड़ी रिलीज किया गया था।मामला सार्वजनिक होने के बाद तेज तर्रार और ईमानदार पुलिस कप्तान इस मामले कि जाँच कराकर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे इस बात में कोई संशय नहीं हैं लेकिन सवाल यह उठता हैं कि कप्तान साहब के सख्त रवैया के बावजूद थाने के अंदर बैठे लोग पैसे के लिए इस तरह के दुस्साहसिक कारनामें को अंजाम देने से बाज नहीं आ रहे।*

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