ये कैसा विकास, विनाश के तरफ बढ़ रहा मानव जीवन – चिल्लूपार।

उत्तर प्रदेश कुशीनगर

सुनीता राय 

सफल समाचार गोरखपुर 

ये कैसा विकास, विनाश के तरफ बढ़ रहा मानव जीवन – चिल्लूपार।

 

जनपद गोरखपुर के दक्षिणांचल में जोरो से चल रहे राम जानकी मार्ग का चौड़ीकरण का कार्य जो चिल्लूपार के मानव जीवन व जीव जंतुओं के पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ मानव जीवन का आने वाला समय बहुत ही विनाशकारी होने वाला है। लेकिन यहां जिम्मेदारों का कोई पता नहीं है। और बहुत से ऐसे समाजसेवी पड़े हैं यहां पर जो पर्यावरण दिवस के दिन एक पेड़ लगाकर सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर अपने आप को पर्यावरण प्रेमी बताते हुए समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाते हैं। लेकिन अब उन्हीं के सामने लगभग 50 वर्ष पुराने फलदार व विशालकाय पेड़ जो की राम जानकी मार्ग पर लगे थे वह पेड़ इस समाज के ठेकेदारों द्वारा सारा पेड़ कटवा या जा रहा है। पहले के समय में जब यातायात के इतने साधन नहीं थे तब लोग साइकिल से या बैलगाड़ी से एक लंबी दूरी तय करते थे और पूरे रास्ते में पेड़ के छांव और पेड़ों पर लगे फल खाकर यात्रा होता था। उसे समय पर्यावरण बिल्कुल स्वच्छ हुआ करता था। मानव जीवन में पेड़ पौधे का होना कितना महत्वपूर्ण है यह आप लोग भली-भांति जानते हैं। अगर यह सिलसिला पेड़ काटने वाला इसी तरह चलता रहा तो एक दिन हमें ऑक्सीजन का टैंक और पानी का टैंक के लाइन के लिए तैयार रहें। एक कहावत है। **एक वृक्ष 10 पुत्र समान**।

अरे भाई कहां गए इस समाज के रक्षक जो अपने काली कमाई के कारण आम जनता का जीना दुश्वार कर दिए हैं। क्या करेंगे हम ऐसी सुविधा को जो हमारे व हमारे आने वाले भविष्य को पहले ही मार दे। ये रामराज में पर्यावरण को ही नष्ट कर दिया जा रहा है। यह बात समझ में नहीं आ रही है। यह रामराज नहीं बल्कि रावणराज बन रहा है। यह जो मुखिया बने हैं यह अपने थोड़े से लाभ के लिए पूरे मानव जाति वह जीव जंतुओं को मौत के घाट उतार रहे हैं और दिखावा के लिए यह जो पेड़ लगा रहे हैं। क्या वे फलदार पेड़ हैं ? अभी तक जितना पेड़ काटे गए होंगे कम से कम 50 साल पुराने पेड़ रहे होंगे। अगर ये रास्ता बनाना ही था तो यह खाली जमीन को लेकर के बनाते तो हमारी यातायात सुविधा भी बढ़ जाती और हमारा पर्यावरण भी सही रहता। अगर यह जनता अपने पर्यावरण की रक्षा नहीं करेगी तो आने वाले समय में पछताने के लिए तैयार हो जाइए। हम किसी पार्टी का विरोध करने के लिए नहीं कह रहे हैं हम अपने जीवन और पर्यावरण को सही करने के लिए आवाज उठाने के लिए कह रहे हैं। अगर हम आज चुप रहेंगे अपने पर्यावरण को लेकर के तो हम लोग एक गुलामी की जिंदगी जी रहे हैं। और जो यह ठेकेदार महोदय हैं इतने पेड़ काट रहे हैं यह सब लकड़ियां जा कहां रही है इसका कोई जवाब नहीं है। पर्यावरण के बिना जीवन यापन कर पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है आने वाले समय में पानी की कमी हो जाएगी सूखा पड़ने लगेगा वातावरण स्वच्छ नहीं रहेगा सांस का रोग पैदा होगा जीव जंतुओं के साथ हम लोग खिलवाड़ कर रहे हैं। कृपया आप लोगों से मेरा निवेदन है सोच बदलिए राष्ट्र बदलिए लिए हम लोग एक साथ मिलकर के एक कदम अपने पर्यावरण की तरफ आवाज उठाते हैं।

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