अकबरनगर पर नागरिकों को गुमराह कर रही सरकार – लखनऊ बचाओ संघर्ष समिति

उत्तर प्रदेश लखनऊ

सफल समाचार

अकबरनगर के मुद्दे पर लखनऊ बचाओ संघर्ष समिति की पत्रकार वार्ता

● अकबरनगर पर नागरिकों को गुमराह कर रही सरकार

● अकबरनगर को उजाड़ना मनमानापन और अन्यायपूर्ण

● अकबरनगर के निवासी अवैध अतिक्रमणकारी नहीं वैध मालिक

● सरकार गलती माने और अकबरनगर निवासियों को पर्याप्त मुआवजे के साथ पुनर्स्थापित करें

लखनऊ।अकबरनगर के सवाल पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी और उनकी सरकार लखनऊ व प्रदेश के नागरिकों को गुमराह करने का काम कर रही है।मुख्यमंत्री द्वारा यह कहना कि वहां अवैध अतिक्रमणकारी  थे जिन्हें हटा दिया गया, दुर्भाग्यपूर्ण और गलत बयानी है। सच्चाई यह है कि अकबरनगर 1925 से पहले से ही आबादी है जो बाकायदा 1332 फसली के रिकॉर्ड में दर्ज है। वहां के निवासियों के आवास नगर निगम में भी दर्ज थे और वे हाउस टैक्स जमा करते थे। उनके पास बिजली, पानी के कनेक्शन थे और इनका वह भुगतान भी करते थे। यही नहीं उस इलाके के विकास के लिए सरकार की योजनाओं को लागू किया गया और सड़क, प्रकाश, बिजली पानी से लेकर नाली तक के तमाम निर्माण कार्य कराए गए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 1500 करोड़ रुपए के कुकरैल रिवर फ्रंट, प्राणि उद्यान, नाइट सफारी के लिए साबरमती रिवर फ्रंट बनाने वाली गुजरात की कंपनियों को टेंडर दिया जा रहा है। इन रियल एस्टेट कम्पनियों की एजेंट बनी प्रदेश सरकार आम जनता की तबाही करने पर आमादा है। यह बातें आज प्रेस क्लब में लखनऊ बचाओं संघर्ष समिति की तरफ से आयोजित पत्रकार वार्ता में वक्ताओं ने कहीं।पत्रकार वार्ता में कहा गया कि सरकार को लखनऊ के नागरिकों को बताना चाहिए कि जब उसने 35 मीटर रिवर बेड में ही कुकरैल रिवर फ्रंट के निर्माण करने का निर्णय लिया है और यहां तक कहा है कि 50 मीटर फ्लड प्लेन जोन की ना तो कोई आवश्यकता है और ना ही उसका कोई प्रस्ताव है। तब ऐसी स्थिति में अकबरनगर में 500 मीटर तक बसे लोगों को डूब क्षेत्र में आने के नाम पर बुलडोज कर देना कहां तक न्याय संगत है। वास्तव में सरकार ने मनमर्जीपूर्ण, अन्यायपूर्ण और तानाशाहीपूर्ण कार्रवाई की है। इस पर पुनर्विचार करने और अपनी गलती का एहसास करने की जगह वह अभी भी गलत बयानी कर रही है।पत्रकार वार्ता में कहा गया कि सौमित्र शक्ति वन के उद्घाटन में कुकरैल रिवर फ्रंट के बारे में माननीय मुख्यमंत्री जी बड़ी-बड़ी बातें कह रहे थे और जिसके नाम पर अकबरनगर को तहस-नहस कर दिया गया। उसकी भी सच्चाई यह है कि 2020 में इस प्रोजेक्ट को बनाने के प्रस्ताव के 4 साल बाद भी उस कुकरैल नाले में गिरने वाले गंदे नाले और अपशिष्ट आज भी गिर रहे हैं। कुकरैल नाला आज भी पूरी तरह से गंदगी से बज बजा रहा है। इसकी तस्दीक कोई भी जाकर कर सकता है।पत्रकार वार्ता में यह भी कहा गया कि मुख्यमंत्री जी द्वारा यह कहना कि अकबरनगर के लोगों का विधिवत पुनर्वास किया गया है, पूर्णतया असत्य है। सच यह है कि उन्हें उनकी जमीन, मकान का कोई मुआवजा नहीं दिया गया। बसंत कुंज योजना में उन्हें जो एक कमरे का आवास आवंटित किया गया है, उसका भी 4 लाख 80 हजार रुपए उनसे प्रतिमाह 3300 रूपए की किस्त के जरिए 15 साल में वसूला जाएगा। हालत इतने बुरे हैं कि जिस बसंत कुंज योजना में वह रह रहे हैं वहां सरकारी शिक्षा-स्वास्थ्य की भी व्यवस्था नही है।वक्ताओं ने कहा कि सरकार ने सम्मानजनक जीने के संवैधानिक अधिकार का उल्लंधन करते हुए लोगों को बेदखल किया है। इसलिए सरकार को अपनी गलती को स्वीकार करना चाहिए और अकबरनगर निवासियों को उनके मकान का पर्याप्त मुआवजा देना चाहिए और उन्हें अकबरनगर में ही पुनर्स्थापित करना चाहिए। इस संबंध में माननीय मुख्यमंत्री जी को पत्र भेजा गया है और यदि सरकार इसे नहीं सुनती तो इस सवाल को विधानसभा, लोकसभा में उठाने का प्रयास किया जाएगा और अदालत में भी इस पर दखल दिया जाएगा। 26 जुलाई को आयोजित लखनऊ बचाओ संघर्ष समिति की बैठक में रणनीति तय कर शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक आंदोलन की घोषणा की जायेगी। साथ ही अकबरनगर की सच्चाई को लखनऊ के आम नागरिकों को बताने के लिए संवाद अभियान चलाया जायेगा।पत्रकार वार्ता में ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर, सीपीएम नेता प्रवीन सिंह, कांग्रेस के शहर अध्यक्ष डॉक्टर शहजाद आलम, सीपीआई के नेता चंद्रशेखर, भाकपा (माले) की केंद्रीय कमेटी सदस्य कृष्णा अधिकारी, अकबरनगर के नेता इमरान राजा, एपवा नेता मीना सिंह, जागरूक नागरिक मंच के रामबाबू, एडवोकेट औसाफ अहमद खान, कमलेश सिंह, समाजवादी पार्टी की पूर्व सचिव शर्मिला महाराज, युवा मंच के शानतम सहाय आदि लोगों ने अपनी बात रखी।

 

 

 

 

 

 

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