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पूना पैक्ट से मिला सरकारी नौकरियों व शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण – आर. के. चौधरी
• दलितों को जन मुद्दों की राजनीति के साथ खड़ा होना होगा – एस. आर. दारापुरी
• दलित समाज की एकता आज जरूरी – डॉक्टर नंदकिशोर
• लखनऊ के बुद्ध विहार में पूना पैक्ट दिवस पर हुआ सम्मेलन
लखनऊ। 1818 में भीमा कोरेगांव से शुरू हुए लगातार संघर्षों के परिणामस्वरूप पूना पैक्ट में दलितों को पहली बार राजनीतिक आरक्षण के साथ सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण मिला और उनके विकास के लिए बजट में अलग से प्रावधान किया गया। भीमा कोरेगांव और पूना पैक्ट का दलित आंदोलन में ऐतिहासिक महत्व है। डॉक्टर अंबेडकर संचेतना समिति उत्तर प्रदेश की तरफ से पूना पैक्ट दिवस पर लाल कुआं स्थित बुद्ध विहार में हुए सम्मेलन में मोहनलालगंज से सांसद आर. के. चौधरी ने कहीं। उन्होंने कहा कि देश व प्रदेश की सत्ता पर बैठी हुई ताकतें लगातार दलितों और गरीबों पर हमले कर रही है। दलितों के संविधान प्रदत्त अधिकारों को छीना जा रहा है। आज यदि दलित समाज के लोग उच्च पदों तक पहुंच पाए तो उसके पीछे डॉक्टर अंबेडकर व संविधान द्वारा प्रदत्त आरक्षण की बड़ी भूमिका है। अब आरक्षण को ही खत्म करने की कोशिश की जा रही है। सरकारी भर्तियां हो नहीं रही हैं और बड़े पैमाने पर सरकारी नौकरियों के पद समाप्त किये जा रहे हैं परिणामस्वरूप दलित, आदिवासी, पिछड़े समूह के लोग रोजगार से वंचित है।सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी ने कहा कि दलितों के सामने जाति आधारित राजनीति की जगह जन मुद्दों पर आधारित राजनीति को खड़ा करने की चुनौती है। डॉक्टर अंबेडकर के आर्थिक सशक्तिकरण के मॉडल को आगे बढ़ाना वक्त की जरूरत है। जमीन, रोजगार, शिक्षा-स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और हर नागरिक के सम्मानजनक जीवन के संवैधानिक अधिकार ऐसे सवाल है जिन्हें हर हाल में हासिल करने के लिए आगे आना होगा। दलितों को प्रगतिशील, लोकतांत्रिक और परिवर्तनकामी ताकतों के साथ खड़ा होना चाहिए।सिविल अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नंदकिशोर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति व जनजाति के उप वर्गीकरण के फैसले ने दलितों की एकता को खंडित करने का काम किया है। उनके बीच में वैमनस्य और विभाजन न हो और उनकी एकता बरकरार रहे इस पर विचार करना होगा। आइपीएफ के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर ने उपवर्गीकरण के फैसले और डॉक्टर अंबेडकर के नजरिए पर 20 अक्टूबर को प्रदेश भर के दलित, लोकतांत्रिक सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ताओं की बैठक में भाग लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट-हिंदुत्व गठबंधन ने देश में तानाशाही का जो खतरा पैदा किया है उस स्थिति में संविधान की रक्षा के लिए खड़ा होना हर नागरिक का दायित्व है। गांधी और अम्बेडकर को एक दूसरे खिलाफ खड़ा करने की जगह दोनों के विचारों से निकल रहे जन पक्षधर कार्यक्रम पर एकजुटता बनानी होगी। सभासद कामरान बेग ने विभाजनकारी राजनीतिक ताकतों से सावधान रहनें की गुजारिश करते हुए बुद्ध विहार के विकास का वादा किया।सम्मेलन का संचालन सुशील कुमार ने किया और सम्मेलन को गोविंद गौतम, प्रेम प्रकाश, अतुल, रामकुमार, रमेश चंद्र, प्रमोद गौतम, लाल जी, अरुण गौतम, राबिन ने भी संबोधित किया।