सफल समाचार गणेश कुमार
तकनीकी कौशल प्रशिक्षण पर जोर देने का महज हो रहा है प्रोपेगैंडा – युवा मंच
तकनीकी प्रशिक्षण संस्थानों में एआईसीटीई के मानक के अनुरूप पदों का सृजन व इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हो
राजकीय पालीटेक्निक कालेजों में नियमविरुद्ध विभागाध्यक्षों की प्रोन्नति पर तत्काल रोक लगे
सोनभद्र।युवा मंच ने प्रदेश में तकनीकी कौशल प्रशिक्षण पर विशेष जोर देने के दावे पर गंभीर सवाल उठाए हैं। सरकारी व अनुदानित पालीटेक्निक कालेजों व आईटीआई संस्थाओं में एआईसीटीई के तय मानक की घोर अवहेलना का आरोप लगाया है। युवा मंच संयोजक राजेश सचान ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक्स पर पोस्ट पत्र में लिखा है कि आज के दौर में तकनीकी कौशल विकास के बेहद जरूरी है। 1987 में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) की स्थापना का मकसद ही देश में गुणवत्तापूर्ण तकनीकी शिक्षा सुनिश्चित करना है। लेकिन उत्तर प्रदेश में AICTE की गाइडलाइंस व तय मानकों को ताक पर रखा गया है। न तो मानक के अनुरूप शिक्षकों व अन्य पदों का सृजन व बुनियादी ढांचा तैयार किया गया और न ही जो पहले से सृजित पद हैं उन्हें ही भरा गया है। विदित हो कि एआईसीटीई के मानक के अनुरूप 25 छात्र संख्या पर एक शिक्षक का पद होना चाहिए। इस तरह 75 प्रवेश क्षमता वाले 3 वर्षीय पाठ्यक्रम में 225 सीटों के सापेक्ष 9 शिक्षक होने चाहिए। परन्तु बहुत सी संस्थाओं में ब्रांच तो खुल गयी, परन्तु पद एक भी नहीं सृजित किया गया । 2 वर्ष पहले सरकार ने नवीन तकनीकी पाठ्यक्रम जैसे कि ड्रोन टेक्नोलॉजी, डाटा साइंस एवं मशीन लर्निंग, साइबर सिक्यूरिटी इत्यादि को प्रारंभ किया था, परन्तु इन पाठ्यक्रमों के लिए एक भी शिक्षक का पद सृजित नहीं किया गया और न ही कोई प्रयोगशाला स्टाफ का पद सृजित किया गया।सर्वाधिक प्रतिष्ठित लखनऊ पालीटेक्निक लखनऊ का उदाहरण देते हुए पत्र में ज़िक्र किया गया है कि यहां मानक के अनुरूप 75 शिक्षकों के पद होने चाहिए जबकि सृजित पदों की संख्या 46 है। 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार यहां 40 शिक्षकों के पद रिक्त हैं। ऐसे पालीटेक्निक कालेज भी हैं जिसमें तमाम विषय अथवा ब्रांच में एक भी शिक्षक नहीं है। प्राविधिक शिक्षा परिषद व राजकीय पालीटेक्निक कालेजों में स्वीकृत 8973 शैक्षणिक व अशैक्षणिक पदों में से 3875 पद रिक्त हैं। जबकि एआईसीटीई के तय मानक के अनुरूप बड़े पैमाने पर नये पदों के सृजन की जरूरत है।पत्र में यह भी संज्ञान में लाया गया है कि विभागाध्यक्षों की प्रोन्नति में पीएचडी व एमटेक न्यूनतम आर्हता को दरकिनार किया जा रहा है और प्राविधिक शिक्षा विभाग द्वारा राजपत्रित अधिकारी सेवा नियमावली-1990 के तहत प्रोन्नति प्रक्रिया चल रही है जबकि सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद एआईसीटीई विनियम- 2019 के तहत उक्त नियमावली में संशोधन किया जा चुका है। इससे न सिर्फ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा बल्कि योग्य व्याख्याता को उचित वेतनमान से वंचित किया जा रहा है। बताया कि रोजगार अधिकार अभियान में इन सवालों को भी उठाया जा रहा है। इन संस्थाओं के छात्रों व शिक्षकों से 10 नवंबर को दिल्ली में हो रहे सम्मेलन में शामिल होने की अपील भी की गई।पत्र को प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल, वाइस चेयरमैन एआईसीटीई, प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा, निदेशक प्राविधिक शिक्षा आदि के एक्स हैंडल पर पोस्ट कर त्वरित कार्रवाई की मांग की गई है।