उत्तर प्रदेश बिहार सीम पर स्थित सलेमगढ सियरहा छठ घाट पुलिस के लिए चुनौतिपूर्ण

उत्तर प्रदेश कुशीनगर

प्रवीण शाही 

सफल समाचार कुशीनगर 

उत्तर प्रदेश बिहार सीम पर स्थित सलेमगढ सियरहा छठ घाट पुलिस के लिए चुनौतिपूर्ण

सलेमगढ सियरहा एतिहासिक छठ घाट पर पड़ोसी प्रान्त बिहार के भी भारी मात्रा में जुटते है दर्शनार्थी श्रद्धालू

 

दो दिवसीय मेले में दो प्रदेश । उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों का होता है भारी जमावड़ा

 

-तरयासुजान पुलिस व बहादुरपुर चौकी पुलिस के लिए मेला सकुशल संपन्न करना हो सकता है चुनौतिपूर्ण

 

सलेमगढ कुशीनगर। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी तरयासुजान थानाक्षेत्र के बहादुरपुर चौकी अनतर्ग सलेमगढ सियरहां के एतिहासिक छठ घाट पर भारी भीड जुटने की अपार सम्भावना से स्थानीय लोगों में खास चर्चा ब्याप्त हैं । सेवरही विकासखंड के सबसे बडे ग्राम सभाओ में सामिल सलेमगढ चौदह गावों का ग्रामसभा तो है ही इसी मे उक्त विकासखंड के बहादुरपुर ग्राम सभा के श्रद्धालू भक्तो का भी छठघाट है और तो और बिहार प्रदेश के कुछ गावों का भी इसी छठ घाट पर पूजा अर्चना होता है जिससे जनपद कुशीनगर प्रशासन के लिए अति महत्वपूर्ण मेला माना जाता है ।

इस मेले में अति सम्वेदनशील सील जगह है फोरलेन हाईबे

 

सड़क पार करना तथा सड़क मार्ग से पैदल व्रत-उपवास धारी महिलाओ का आना जाना सबसे सम्वेदनशील माना जाता क्यों कि हाईबे फोरलेन पर हजार गाडियों का आना जाना लगा रहता है वही इस एतिहासिक मेले के चारों दिशाओं के लगभग दो-तीन किलोमीटर कि दूरी से नंगे पाव आती व्रत-उपवास धारी महिलाए के लिए फोर लेन हाईबे एक चुनौतिपूर्ण होता है । एतिहासिक सलेमगढ सियरहां पोखरे के दो तरफ तो पक्की सिडियों वाला घाट बना हुआ है परन्तु दो तरफ अभी पक्की सीडियों का घाट नही बन पाया है जिससे पोखरे के अन्दर खड़ी होकर उगते सुर्य को अर्घ देना भी व्रत-उपवास धारियों के लिए अति सम्वेदनशील होता है ।

 

इस वर्ष लगभग 30 से 40 हजार श्रद्धालूओं की भिड जुटने की अपार सम्भावना है 

 

यूतों भिड को लेकर अलग अलग लोगों का अलग अलग आंकडा है परंतु कुछ आंकडा यह भी है की सलेमगढ के चौदह गांव है और लगभग 30 हजार रियासी घरे है और एक घर से कम से कम तीन से चार आदमी मेला में जाते ही है क्यो की यह परिवारिक मेला पर्व है वही ग्राम सभा बहादुरपुर में लगभग 10 हजार रियासी घरे है और तो और बिहार प्रदेश के कुछ गावों के लोगों छठघाट यही है ।इसी लिए उपरोक्त आंकडे का प्रबल संम्भावन है । स्थानीय लोंगों में भी जगह जगह यह चर्चा सुनने को मिल रहा है कि इस बार बडी भीड होगी बच्चों और महिलाओ पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है । 

 

मेले में गाडियों से अधिक होती है परेशानी

 

कुछ स्थानीय वुधजिबियों का मानना है की उक्त मेले में गाडियों को लेकर अधिक परेशानियों का सामान करना पडता है लोग मेले मे तथा मेला मे प्रवेश करने वाले रास्तों पर जो गाडिया लगा देते है उससे मेला में आने जाने वाले महिलाओ बच्चो और पुरुषों को अपार परेशानियों का सामना करना पडता है एक तो भिड होती है वही गाडियों को लेकर लोग मेला में घूस जाते है और तो और रास्ते पर भी गैर जिम्मेदार के तरह गाडिया खडी कर देते है । इन सभी पहलुओ को लेकर तरयासुजान पुलिस और बहादुरपुर चौकी पुलिस को मेला सकुशल संपन्न करना इस वर्ष चुनौतिपूर्ण हो सकता है अब यह देखना लाजिम होगा की क्या स्थानीय पुलिस प्रशासन इन सभी पहलुओ पर विशेष ध्यान देने में सक्षम हो पाती है या केवल …….?

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