रोजगार अधिकार अभियान चलाने का फैसला

उत्तर प्रदेश लखनऊ

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रोजगार अधिकार अभियान चलाने का फैसला

• जैनुल आब्दीन संयोजक, गौतम सोनी सहसंयोजक और रविंद्र यादव प्रवक्ता बनाए गए

 • जन सवालों के हल के लिए देश में संसाधनों कमी नहीं – राजेश

लखनऊ।सुपर रिच की संपत्ति पर समुचित टैक्स लगाने, शिक्षा-स्वास्थ्य, रोजगार की गारंटी करने, देश में सरकारी विभागों में खाली पदों को तत्काल भरने और हर नागरिक को संविधान प्रदत्त सम्मानजनक जीवन की गारंटी करने के सवाल पर पूरे देश में चल रहे रोजगार अधिकार अभियान को लखनऊ में अन्य छात्र युवा संगठनों के साथ मिलकर मजबूती से चलाया जाएगा। इसके तहत कैम्पसों, ग्रामीण क्षेत्र, कोचिंग संस्थानों और मोहल्लों में संवाद सत्याग्रह बैठकें आयोजित की जाएगी और आम नागरिकों से सम्पर्क किया जायेगा। यह निर्णय आज युवा मंच लखनऊ इकाई की वर्चुअल मीटिंग में लिया गया। बैठक में जैनुल आब्दीन को युवा मंच जिला संयोजक, गौतम सोनी को सहसंयोजक और रविंद्र यादव को प्रवक्ता चयनित किया गया।वर्चुअल मीटिंग को संबोधित करते हुए रोजगार अधिकार अभियान के कोऑर्डिनेटर राजेश सचान ने कहा कि बेरोज़गारी की समस्या का सीधा संबंध राजनीतिक अर्थनीति से है। संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र में आए बैंकिंग संशोधन अधिनियम में हुई बहस का जिक्र करते हुए कहा कि देश के बड़े पूंजी घरानों का करोड़ों रूपया कर्ज सरकार ने माफ कर दिया है। वहीं आम आदमी के सम्मानजनक जीवन के लिए रोजगार, शिक्षा-स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा पर आवंटित धन की कटौती की गई है। उन्होंने कहा कि देश में संसाधनों की कोई कमी नही है। इधर के वर्षों में कारपोरेट घरानों की संपत्ति तेजी से बढ़ी है। अगर इन सुपर रिच पर समुचित टैक्स लगाया जाए और उचित अर्थनीति बने तो रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, पुरानी पेंशन योजना, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य, ठेका मजदूर और आंगनवाड़ी आशा जैसे स्कीम वर्कर्स को सम्मानजनक मानदेय देने की गारंटी की जा सकती है। इससे इन कारपोरेट घरानों पर बोझ भी नहीं पड़ेगा और बजट में 15 से 20 लाख करोड़ रूपये के अतिरिक्त संसाधन जुटाये जा सकते हैं। इससे देश को राजकोषीय घाटे के संकट से भी बचाया जा सकता है। बताया कि 10 नवंबर को दिल्ली में हुए राष्ट्रीय सम्मेलन में इन सवालों पर देश भर में अभियान चलाने का निर्णय लिया गया।युवा मंच के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों ने कहा कि केंद्र सरकार रोजगार के इतने बड़े संकट को हल करने के लिए कतई गंभीर नहीं है। वायदे के बावजूद देश में रिक्त पड़े करीब एक करोड़ पदों को भरने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए हैं। उत्तर प्रदेश में तो हालात बेहद खराब हैं। कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि रोजगार के इतने बड़े संकट के बावजूद संसद में इसके समाधान को लेकर विचार विमर्श नहीं हो रहा है। बैठक का संचालन जैनुल आब्दीन ने किया और बैठक में गौतम सोनी, रविंदर यादव, राम सुरेश यादव, एडवोकेट कमलेश सिंह, उम्मी कुलसुम, त्रिभुनेश्वर मिश्रा आदि ने अपनी बात रखी।

 

 

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