Mahakumbh 2025: महाकुंभ पर आज बनेगा शुभ संयोग, जानें शाही स्नान का मुहूर्त और नियम

उत्तर प्रदेश प्रयागराज

आकाश राय 

सफल समाचार प्रयागराज 

Mahakumbh 2025: महाकुंभ पर आज बनेगा शुभ संयोग, जानें शाही स्नान का मुहूर्त और नियम

प्रयागराज में आज से महाकुंभ का आगाज होने जा रहा है जिसका समापन 26 फरवरी महाशिवरात्रि के दिन होगा. महाकुंभ, विश्व का सबसे बड़ा मेला है. महाकुंभ के इस मेले में दूर-दूर से श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करने आते हैं.

इस दौरान अमृत स्नान का विशेष महत्व होता है, जिसमें पहले साधु-संत और फिर आम जन डुबकी लगाते हैं.

मान्यता है कि महाकुंभ में स्नान करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और पापों से मुक्ति मिलती है. महाकुंभ मेले का आयोजन प्रत्येक 12 वर्षों के अंतराल पर हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में होता है और इनमें प्रयागराज में लगने वाला महाकुंभ सबसे भव्य होता है. 30-45 दिन तक चलने वाला महाकुंभ हिंदुओं के लिए काफी मायने रखता है.

महाकुंभ 2025 पहले शाही स्नान का शुभ मुहूर्त (Mahakumbh 2025 shahi snan shubh muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 जनवरी यानी आज सुबह 5 बजकर 03 मिनट पर हो चुकी है और तिथि का समापन 14 जनवरी को अर्धरात्रि 3 बजकर 56 मिनट पर होगा.

आज शाही स्नान के लिए सबसे शुभ मुहूर्त ब्रह्म मुहूर्त रहेगा जिसका समय सुबह 05 बजकर 27 मिनट से सुबह 06 बजकर 21 मिनट रहेगा. उसके बाद प्रात: संध्या मुहूर्त में स्नान किया जा सकता है जिसका समय सुबह 5 बजकर 54 मिनट से सुबह 7 बजकर 15 मिनट तक रहेगा. फिर, विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 15 मिनट से लेकर 2 बजकर 57 मिनट रहेगा. और संध्या के समय भी यानी गोधूलि मुहूर्त में भी स्नान

किया जा सकता है जिसका समय शाम 5 बजकर 42 से लेकर 6 बजकर 09 तक रहेगा.

महाकुंभ पर 144 साल बाद बनेगा ये शुभ संयोग (Mahakumbh Mela 2025 Shubh Sanyog)

इस बार महाकुंभ खास माना जा रहा है क्योंकि 144 साल बाद एक दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है जिसका संबंध समुद्र मंथन से माना जाता है, जिसके दौरान देवताओं और राक्षसों ने अमृत के लिए संघर्ष किया था. इस दिन सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति ग्रहों की शुभ स्थिति बन रही है जो कि उस समय समुद्र मंथन के दौरान भी बनी थी. साथ ही, महाकुंभ पर रवि योग का निर्माण होने जा रहा है. रवि योग आज सुबह 7 बजकर 15 मिनट से होगा और 10 बजकर 38 मिनट पर इसका समापन होगा. इसी दिन भद्रावास योग का भी संयोग बन रहा है और इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है.

महाकुंभ के नियम

1. महाकुंभ मेले में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं को सादगी और सरलता के साथ रहना चाहिए.

2. महाकुंभ सबसे पहले स्नान साधु-संत करेंगे और उसके बाद ही आम जनता स्नान कर सकती है.

3. महाकुंभ मेले में स्नान का समय निर्धारित होता है, जिसका पालन करना आवश्यक है.

4. महाकुंभ मेले में अहिंसा और करुणा के सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक है.

5. महाकुंभ मेले में नशीली वस्तुओं का सेवन करना वर्जित है. साथ ही, हिंसा और आक्रोश का प्रदर्शन वर्जित है.

महाकुंभ मेले का एतिहासिक महत्व

मान्यतानुसार, महाकुंभ मेले का संबंध समुद्र मंथन से माना जाता है. कथा के अनुसार, एक बार ऋषि दुर्वासा के श्राप से इंद्र और अन्‍य देवता कमजोर पड़ गए थे. इसका लाभ उठाते हुए राक्षसों ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया था और इस युद्ध में देवताओं की हार हुई थी. तब सभी देवता मिलकर सहायता के लिए भगवान विष्‍णु के पास गए और उन्‍हें सारी बात बताई. भगवान विष्‍णु ने राक्षसों के साथ मिलकर समुद्र मंथन कर के वहां से अमृत निकालने की सलाह दी.

जब समुद्र मंथन से अमृत का कलश निकला, तो भगवान इंद्र का पुत्र जयंत उसे लेकर आकाश में उड़ गया. यह सब देखकर राक्षस भी जयंत के पीछे अमृत कलश लेने के लिए भागे और बहुत प्रयास करने के बाद दैत्‍यों के हाथ में अमृत कलश आ गया. इसके बाद अमृत कलश पर अपना अधिकार जमाने के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच 12 दिनों तक युद्ध चला था. समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश से कुछ बूंदें हरिद्वार, उज्‍जैन, प्रयागराज और नासिक में गिरी थीं इसलिए इन्‍हीं चार स्‍थानों पर महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है.

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