“सहकारिता है ग्राम्य संस्कृति तो संतोष है समृद्धि” -आचार्य मिथिलेश नंदिनी शरण

उत्तर प्रदेश सोनभद्र

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“ग्रामीण जीवन ही भारत की मूल प्राण वायु” -मिथिलेशनन्दिनीशरण जी महराज 

“सहकारिता है ग्राम्य संस्कृति तो संतोष है समृद्धि” -आचार्य मिथिलेश नंदिनी शरण

“ग्राम्य संस्कृति,समृद्धि एवं जीवनबोध गोष्ठी को किया सम्बोधित”

-जिले में जगह जगह महाराज जी का हुआ स्वागत

सोनभद्र। धार्मिक,आध्यात्मिक,दार्शनिक विचारक, व पीठाधीश्वर सिद्ध पीठ श्री हनुमन्निवास अयोध्या धाम के पूज्य संत आचार्य श्री मिथिलेशनन्दिनीशरण जी महाराज का आगमन मंगलवार को सोनभद्र में हुआ ।जहाँ ग्राम्य संस्कृति, समृद्धि एवं जीवनबोध गोष्ठी को किया सम्बोधित” गोष्ठी को संबोधित करते हुए महाराज जी ने कहा कि ग्रामीण जीवन ही भारत की मूल प्राण वायु है। ग्राम्य संस्कृति का अर्थ है जो हमे प्राप्त है उसके प्रति कृतज्ञ होना। ग्रामीण के वास्तविक संदर्भ को समझना होगा। विष्णु सहस्त्रनाम में स्वयं विष्णु जी को ग्रामणि कहा गया है। ग्राम शब्द का अर्थ ही है बाजार से रहित व्यवस्था। बाजार ने व्यक्ति से मूल्य को छीनकर एक यांत्रिक व्यवस्था में स्थापित कर दिया है। जबकि ग्राम्य संस्कृति समानुभूति आधारित सहकारिता की संस्कृति है। जिसमे बिचौलिए के लिए कोई जगह नहीं है। आज आधुनिकता के दौड़ मे नगरीय व्यवस्था में मनुष्य मूल्य रहित हो चुका है। उपरोक्त बातें हनुमत निवास के पीठाधीश्वर आचार्य श्री मिथिलेश नंदिनी शरण जी सोनभद्र में आयोजित “ग्राम्य संस्कृति, समृद्धि एवं जीवन बोध” विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कही। आचार्य मिथिलेश नंदिनी शरण जी ने कहा कि ग्राम्य संस्कृति में ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जिससे अपशिष्ट उत्पन्न हो। ग्रामीण संस्कृति हर चीज को पचाने मे सक्षम है। ग्राम्य संस्कृति का जीवन बोध यही है कि हम अपने सुखों को कम करते हुए, एक समावेशी जीवन शैली के आधार पर आने वाली पीढ़ियों के लिए एक आदर्श भविष्य प्रदान करें। बाजार आधारित संस्कृति से इतर ग्राम्य संस्कृति औरजीवन बोध के द्वाराभारत के मौलिक चेतना में वापस आना होगा। और यहाँ कार्य लोक से संवाद द्वारा व्यक्ति के स्तर पर करना होगा। इस माध्यम द्वारा ही भारत के संस्कृति एव्ं समृद्धि का संरक्षण होगा।पूज्य ने कहाँ की महाकुंभ को सरकारी योजना कहना भारत के सनातन धर्मभाव का अपमान, मिथिलेशनन्दिनीशरण मिथिलेशनन्दिनीशरण जी महाराज ने कहा कि 60 से 70 करोड़ लोगों ने कष्ट सहकर स्नान करने महाकुंभ पहुंचे। महाकुंभ को सरकारी योजना कहना भारत के सनातन धर्मभाव का अपमान है। महाकुंभ में इतने श्रद्धालुओं को पहुंचना, यह भारत के धार्मिक भावना का प्रतिफल है कार्यक्रम का सफल संचालन कार्यक्रम संयोजक पंडित आलोक कुमार चतुर्वेदी ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार पारस मिश्र ने किया। मिथिलेशनन्दिनीशरण जी महाराज का आगमन रावटसगंज स्थित होटल ज्योति इंटरनेशनल में हुआ । इसके पूर्व सुकृत, मधुपुर समेत अन्य जगहों पर भक्तों की ओर से मिथिलेशनन्दिनीशरण जी महाराज के स्वागत किया गया । होटल में आयोजित ग्राम्य संस्कृति, समृद्धि एवं जीवन बोध गोष्ठी में शामिल होने के बाद मिथिलेशनन्दिनीशरण जी महाराज विंध्य कन्या पीजी कॉलेज उरमौरा पहुंचें। यहां पर महाराज जी ने पत्रकारों से बातचीत किया , तत्पश्चात कॉलेज की ओर से आयोजित सम्मान समारोह में भाग लिए । इसके बाद सोनभद्र के आध्यात्मिक, धार्मिक, पौराणिक एवं प्राकृतिक धरोहर शिवद्वार प्रभु भोलेनाथ का दर्शन कर, सोनभद्र के स्थापना दिवस पर सर्किट हाउस के सभागार में आयोजित कार्यकम में भाग लिया कार्यक्रम राहुल जी,हर्ष अग्रवाल जी, कीर्तन जी,पारस नाथ मिश्रा, जगदीश पंथी, प्रभात सिंह चंदेल जी, अरुणेश पांडे जी, लालजी तिवारी, अवधेश दीक्षित, दयाशंकर पांडे, धनंजय पाठक, प्रवीण पांडे, राज नारायण तिवारी,आनंद त्रिपाठी, प्रद्युम्न त्रिपाठी, डॉ अंजलि विक्रम सिंह, चित्र जालान, अशोक कुमार मिश्रा।

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