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दोषी पति को आजीवन कठोर कारावास
– 21 हजार रुपये अर्थदंड, न देने पर 6 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी
– साढ़े 10 वर्ष पूर्व दहेज में 50 हजार रुपये नकद ब सोने की चैन की मांग पूरी नहीं हुई तो गुड्डी की हत्या करने का मामला
फोटो: कोर्ट भवन
सोनभद्र। साढ़े 10 वर्ष पूर्व दहेज में 50 हजार रुपये नकद व सोने की चैन की मांग पूरी न होने पर गुड्डी की हत्या करने के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी/ सीएडब्लू, सोनभद्र अर्चना रानी की अदालत ने वृहस्पतिवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषी पति बालेश्वर को आजीवन कठोर कारावास व 21 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 6 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित होगी।अभियोजन पक्ष के मुताबिक मृतका गुड्डी के पिता शिवशंकर विश्वकर्मा पुत्र बुद्दु निवासी नरोखर, थाना रामपुर बरकोनिया, जिला सोनभद्र ने कोर्ट में धारा 156(3) सीआरपीसी के तहत प्रार्थना पत्र दिया था। कोर्ट के आदेश पर 2 मई 2015 को एफआईआर दर्ज हुई। मृतका के पिता ने दी तहरीर में अवगत कराया था कि उसने अपनी बेटी गुड्डी की शादी करीब एक वर्ष पूर्व बालेश्वर पुत्र रामसागर निवासी ग्राम नई बाजार , थाना रॉबर्ट्सगंज, जिला सोनभद्र के साथ किया था। शादी में अपने सामर्थ्य के अनुसार उपहार स्वरूप सामान दिया था। बावजूद इसके दहेज में 50 हजार रुपये व सोने की चैन की मांग को लेकर पति बालेश्वर, ससुर रामसागर, व देवर सुभाष द्वारा प्रताड़ित किया जाने लगा तथा मारने की धमकी दिया जाने लगा। 26 सितंबर 2014 को सूचना मिली कि बेटी गुड्डी की मौत हो गई है। जब बेटी के ससुराल गए तो उसकी लाश पड़ी थी। दहेज में 50 हजार रुपये नकद व सोने की चैन की मांग पूरी नहीं हुई तो पति, ससुर व देवर ने बेटी गुड्डी को मार दिया। रिपोर्ट दर्ज कर आवश्यक कार्रवाई करें। इस तहरीर पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना किया। पर्याप्त सबूत मिलने पर विवेचक ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया था।मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान व पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी पति बालेश्वर को उम्रकैद व 21 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 6 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित होगी। ससुर की मौत हो गई तथा देवर सुभाष को साक्ष्य के अभाव में कोर्ट ने दोषमुक्त करार दिया। अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील सत्यप्रकाश त्रिपाठी ने बहस की।