शक्तिपीठ कड़ा धाम में सावन की अष्टमी का मेला सोमवार को लगेगा। मेले में मिर्जापुर, वाराणसी, प्रतापगढ़, रायबरेली, अमेठी, प्रयागराज फतेहपुर, बांदा,

उत्तर प्रदेश कौशांबी

सफल समाचार
आकाश राय

शक्तिपीठ कड़ा धाम में सावन की अष्टमी का मेला सोमवार को लगेगा। मेले में मिर्जापुर, वाराणसी, प्रतापगढ़, रायबरेली, अमेठी, प्रयागराज फतेहपुर, बांदा, चित्रकूट सहित प्रदेश ही नहीं देश के विभिन्न स्थानों से बड़ी संख्या में भक्त मां शीतला के दरबार में माथा टेकने आएंगे। इसे लेकर प्रशासन के साथ ही पंडा समाज ने तैयारियां कर ली हैं।

स्कन्द पुराण के अनुसार कड़ा को कालांतर में करकोटक वन के नाम से जाना जाता था। यहीं पर देवी सती के दाहिना हाथ का पंजा (कर) गिरने के कारण इसका नाम कड़ाधाम पड़ गया। सती का पंजा आज भी देवी प्रतिमा के आगे जलकुंड में विद्यमान है।

पुजारी मदन लाल किंकर का कहना है कि प्राचीन काल में त्रिशूल नाम का एक राक्षस था। जिस किसी पर भी उसकी सांस पड़ती थी, उसके पूरे शरीर में फफोले पड़ जाते थे। इससे कारकोटक वन के आसपास के गांवों लोग बेहद परेशान थे। इस संक्रामक बीमारी का किसी वैद्य के पास इलाज नहीं मिल पा रहा था। तब भक्तों ने शारदीय नवरात्र में आदिशक्ति दुर्गा के शीतल स्वरूप का सामूहिक आवाह्न किया। इसके बाद मां ने अपने वाहन गधे पर सवार होकर एक हाथ में खास तरह की घास से निर्मित कुश (झाड़ू) से शीतल जल छिड़क कर अपने भक्तों के कष्टों का निवारण किया।
इसी शीतल जल को त्रिशूल पर छिड़क कर मां ने असुर का वध किया था। इसके बाद शक्ति के इस स्वरूप को शीतला मां के रूप में जाना जाने लगा। तभी से शीतला अष्टमी के पर्व को यहा संक्रामक रोग नियंत्रण पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।

मेले में श्रद्वालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के लिए 200 जवान लगाए गए हैं। थानाध्यक्ष कड़ाधाम आशुतोष सिंह ने बताया कि एक मेला प्रभारी, 12 सब इंस्पेक्टर 15 महिला कांस्टेबल, 110 कांस्टेबल, 25 होमगार्ड एवं पीआरडी के जवान के अलावा डेढ़ सेक्शन पीएसी, जल पुलिस व फायर ब्रिगेड की गाड़ियां लगाई गई हैं। पूरे धाम परिसर में एक दर्जन प्वाइंट बनाए गए हैं। दर्शनार्थियों की गाड़ियां फसइया मैदान में पार्क कराई जा रही हैं।
जलहरी भरना मां की प्रसन्नता का प्रतीक
मां की प्रतिमा के समक्ष एक कुंड है। इसी कुंड में देवी सती का कर गिरा था। चमत्कारिक बात यह है कि यदि कोई श्रद्धालु अहंकार के साथ दूध अथवा गंगाजल से कुंड भरना चाहे तो जलहरी नहीं भर सकता। जलहरी भर जाना देवी के प्रसन्न्ता का प्रतीक माना जाता है।
गंगा में लगाई आस्था की डुबकी मां की दरबार में टेका माथा
अष्टमी की तरह शीतला सप्तमी का भी खास महत्व है। रविवार को सप्तमी पर वाराणसी, जौनपुर, मिर्जापुर, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, फतेहपुर, अमेठी आदि जनपदों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु कड़ा धाम पहुंचे। यहां गंगा के विभिन्न घाटों पर आस्था की डुबकी लगाने के बाद भक्त मां की एक झलक पाने के लिए जयकारा लगाते हुए मंदिर पहुंचे। घंटों लाइन पर लगने के बाद मां के दर्शन कर भक्त निहाल हो उठे।
रात में साढ़े तीन घंटे गुल रही बिजली, उमस से भक्त परेशान
शनिवार की देर रात साढ़े आठ बजे अचानक विद्युत आपूर्ति बाधित हो गई। इसके बाद आधी रात 12 बजे आपूर्ति बहाल हुई। श्रद्धालुओं के साथ स्थानीय लोग उमसभरी गर्मी से परेशान रहे।
टूटकर गिरा बिजली का तार, टला हादसा
धाम परिसर में रविवार को अचानक बिजली का तार टूट कर गिर गया। उस समय विद्युत आपूर्ति चल रही थी। स्थानीय लोगों की सूचना के बाद फौरन आपूर्ति बाधित की गई। इसके बाद उपकेंद्र से पहुंचे विद्युत कर्मियों ने तार जोड़कर आपूर्ति बहाल कराई। गनीमत रही कि जिस जगह तार टूटा वहां पर श्रद्धालु नहीं थे। कड़ा धाम में विद्युत तारों की हालत जर्जर है पर विभागीय अफसर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

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