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सुनीता राय
भोजपुरी और बॉलीवुड फिल्मों के सुपरस्टार और गोरखपुर के भाजपा सांसद रवि किशन का आज जन्मदिन है। आज वह 53 साल के हो गए हैं। रवि किशन ने अपने करियर की शुरूआत भोजपुरी फिल्म से की थी। अपने दमदार अभियन के दम पर उन्होंने बॉलीवुड में एंट्री मारी तो पूरे देश में छा गए।
वहीं रवि किशन 2014 में राजनीति में आए। उनकी सियासत की पारी बाकियों की तरह निराश करने वाली नहीं रहा है। राजनीति में उनकी एंट्री तो 2014 में हो गई लेकिन उन्हें पहचान मिली 2019 में। कांग्रेस से निराश हो चुके रवि किशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम योगी और भाजपा की नीतियों से प्रभावित हुए। भाजपा में शामिल होने से पहले वह सार्वजनिक रूप से भाजपा की तारीफ करते पाए गए। फिर एक समय ऐसा भी आया जब भाजपा ने उन्हें गोरखपुर सीट से सांसद का उम्मीदवार बना दिया।
एक सांस्कृतिक महत्व की सीट को एक फिल्मी सितारे को सौंपे जाने पर लोगों में नाराजगी पैदा होने का खतरा था लेकिन गोरखपुर की जनता ने रवि किशन को हाथोंहाथ लिया और भारी मतों से जीताकर उन्हें संसद भेजा। 2014 में उन्होंने जौनपुर से चुनाव लड़ा था। इस सीट पर उन्हें शिकस्त मिली।
जौनपुर जिले की केराकट तहसील में जन्मे रवि किशन का बचपन गरीबी में गुजरा। इनके पिता पंडित श्याम नारायण शुक्ला पुजारी थे। रवि किशन के पिता उन्हें पढ़ा-लिखाकर अपनी तरह पुजारी बनाना चाहते थे लेकिन रवि किशन को यह पसंद नहीं था। उनके मन में बॉलीवुड और मुंबई के सपने शुरू से थे। एक समय ऐसा भी आया कि वह घर से भागकर सपनों की नगरी मुंबई चले गए। यहां से उनके संघर्ष का जो सिलसिला चला वह लंबा था। रवि किशन वर्षों तक अच्छा किरदार पाने के लिए मुंबई की सड़कों पर भटकते रहे।
आर्थिक तंगी को रवि किशन ने अपने संघर्ष का कभी रुकावट नहीं बनने दिया। वे मुंबई में लगातार परेशानियों से जूझते रहे। कठिनाइयों से उन्होंने हार नहीं मानी। फिर एक समय वह भी आया जब बॉलीवुड और भोजपुरी सिनेमा ने उन्हें सलाम किया। कम समय में ही उन्होंने हिंदी, भोजपुरी, दक्षिण की फिल्मों में अपना नाम कमाया। भोजपुरी के वे सुपरस्टार बनकर उभरे।
एक सांसद के रूप में रवि किशन अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के लिए हमेशा उपलब्ध रहने की कोशिश की है। क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय मुद्दों पर वह लगातार मुखर रहे हैं। सभी नागरिकों के लिए आवश्यक मतदान, भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग, बॉलीवुड में ड्रग नेटवर्क, भोजपुरी में अश्लीलता और तमाम सारे अन्य मुद्दों पर उन्होंने खुलकर अपनी राय रखी।
रवि किशन को सांसद बने चार साल होने को है, इन सालों में उन्होंने साबित कर दिया है कि वह लंबी रेस के घोड़े हैं। कोरोना काल में प्रवासी संकट के दौरान वह लगातार सक्रिय रहे। गोरखपुर में न रहते हुए भी वह सोशल मीडिया के जरिए अपने लोगों से जुड़े रहे। मुंबई से गोरखपुर स्पेशल ट्रेनें चलाए जाने की मांग की। महाराष्ट्र के राज्यपाल से मिले। गोरखपुर अपने कार्यालय से राशन का वितरण कराया। एक मझे हुए नेता की तरह अपने लोगों के बीच पहुंचकर उनकी बातें सुनना रवि किशन को बड़ा बनाती है। वे गरीबी में तपकर आगे निकले हैं। इसलिए जनता भी उन्हें पसंद करती है।