बीआरडी मेडिकल कॉलेज के सामने रोजाना जाम से लोगों को दो-चार होना पड़ता है। आधी सड़क पर एंबुलेंस माफिया और ठेले व रेहड़ी वालों को कब्जा रहता है

उत्तर प्रदेश गोरखपुर

सफल समाचार 
सुनीता राय 

व्यापारियों को समझाया कि दुकान के सामने गाड़ियां व ठेले वालों को न लगाने दें। इसमें आप का भी फायदा है। दुकान के बाहर जगह होगी, तभी तो खरीदार आएंगे। तय हुआ कि एक किनारे वाहनों को खड़ा किया जाए।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के सामने रोजाना जाम से लोगों को दो-चार होना पड़ता है। आधी सड़क पर एंबुलेंस माफिया और ठेले व रेहड़ी वालों को कब्जा रहता है। लेकिन सोमवार को महराजगंज जा रहे एसएसपी व एसपी सिटी जब इस जाम में फंसे तो महकमे को आम लोगों के दर्द का एहसास हुआ और फिर जाम लगाने वालों की शामत आ गई। मंगलवार को एसएसपी ने जाम को हटवाने का जिम्मा एसपी ट्रैफिक को सौंपा।

सपी ट्रैफिक ने बात समझने वालों को तो विनम्रता से हटवाया, जिसकी समझ में नहीं आया तो उन्हें जमकर दौड़ाया। उनका चालान भी कर डाला। इसके चलते सड़क के किनारे न तो एंबुलेंस दिखे और न ही ठेले व रेहड़ी वाले। शाम तक जो सड़क सिकुड़ करके 20 से 30 फीट रहती थी, वहीं अब सड़क 50 से 60 फीट चौड़ी हो गई। लोग आराम से आते-जाते दिखे।

पुलिस ने अपराह्न तीन बजे से ही अभियान शुरू कर दिया। एसपी ट्रैफिक ने खुद इसकी कमान संभाली। पहले तो सड़क के किनारे ठेले व रेहड़ी वालों को हटवाया फिर एसपी ट्रैफिक श्यामदेव विंद ने खुद बड़ी विनम्रता से उन्हें समझाया। कहा- भाई आप ही बता दो, आप के घर का या परिचित इस जाम में फंस जाए और उसकी जान पर बन आए तो कैसे लगेगा। यह सुनते ही ठेले वाले भी हाथ जोड़ लिए और फिर पीछे की ओर चले गए। उनके लिए बैरिकेडिंग करके जगह भी दी गई। इसके बाद एसपी सामने वाली लेन पर पहुंचे, जहां पर आधी सड़क को पार्किंग बनाया गया था।

पुलिस को देखते ही ऑटो- जीप व ई-रिक्शा वाले भागने लगे। कहने के बावजूद नहीं हटने पर 19 वाहनों का चालान किया गया। पुलिस ने व्यापारियों से भी मदद मांगी। इस अभियान का असर शाम होते ही दिखने लगा। मेडिकल कॉलेज गेट के सामने सड़कें चौड़ी दिखने लगीं और लोगों को जाम से मुक्ति मिली। एसपी ट्रैफिक ने पुलिस वालों को सख्त हिदायत दी कि कॉलेज गेट के सामने प्राइवेट एंबुलेंस नहीं लगाए जाएंगे। दो सिपाही गुलरिहा थाने और दो सिपाहियों की चिलुआताल थाने से ड्यूटी लगाने का भी निर्देश दिया है।

उन्होंने कहा कि ये लोग नियमित निगरानी करेंगे और जाम नहीं लगने देंगे। व्यापारियों को समझाया कि दुकान के सामने गाड़ियां व ठेले वालों को न लगाने दें। इसमें आप का भी फायदा है। दुकान के बाहर जगह होगी, तभी तो खरीदार आएंगे। तय हुआ कि एक किनारे वाहनों को खड़ा किया जाए। दिन में चले इस अभियान का असर रात में देखने को मिला। रात करीब साढ़े बजे पूरी सड़क खाली नजर आई और लोगों ने गाड़ियां भी बड़े सलीके से खड़ी की जाए।

एंबुलेंस में न ऑक्सीजन था न ही पैरामेडिकल स्टॉफ, आरटीओ ने किया सीज

प्राइवेट एंबुलेंस माफिया मरीजों की जिंदगी से किस कदर खेल रहे हैं, इसकी एक और हकीकत मंगलवार को आरटीओ की जांच में सामने आ गई। चार पहिया वाहन के बाहर सिर्फ एंबुलेंस का लोगो लिखकर उसे एंबुलेंस बना दिया है, अंदर उसमें कोई सुविधा नहीं है। न तो ऑक्सीजन सिलिंडर था और न ही किसी इमरजेंसी से निपटने के लिए पैरामेडिकल स्टॉफ। आरटीओ की टीम ने ऐसे ही एक एंबुलेंस को सीज कर दिया। जबकि, एक एंबुलेंस चालक के पास लाइसेंस न होने पर जुर्माना लगाया गया।

पुलिस की सख्ती के बाद एंबुलेंस-मरीज माफिया का पूरा तंत्र सामने आ गया है। एसएसपी डाॅ. गौरव ग्रोवर के आदेश पर पुलिस ने मरीजों को सरकारी अस्पताल से बेचे जाने की जांच शुरू की तो 18 एंबुलेंस सामने आए हैं। जांच में पता चला है कि किस तरह मरीजों की जिंदगी से खेला जा रहा है। एएसपी ने जांच रिपोर्ट एसएसपी को सौंपी थी। इसके बाद ही एसएसपी ने चौकी इंचार्ज व दो सिपाहियों को वहां से हटा दिया और फिर मेडिकल कॉलेज प्रशासन, स्वास्थ्य महकमा और आरटीओ को कार्रवाई के लिए पत्र भेजा गया।

खबर है कि सीएम ने भी पूरे प्रकरण का संज्ञान लिया है। इसके बाद हरकत में आई आरटीओ की टीम ने भी जांच शुरू कर दी है। 18 एंबुलेंस में से तीन ही एंबुलेंस मिले हैं। जांच के दौरान एक एंबुलेंस में कोई सुविधा नहीं मिली तो दूसरे एंबुलेंस के चालक के पास ड्राइविंग लाइसेंस तक नहीं था। तीसरा एंबुलेंस बाहर का है, लेकिन उसके कागजात ठीक मिले हैं। आरटीओ अन्य एंबुलेंस की तलाश में जुटी है, ताकि उसकी भी जांच की जा सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *