सफल समाचार
सुनीता राय
रोजाना दो घंटे धरने पर बैठकर एबीवीपी से जुड़े छात्र यह संदेश देने की कोशिश कर रहे थे कि उनकी मांग मान ली जाए। मगर, ऐसा नहीं हुआ और शुक्रवार को गुस्सा इतना बढ़ गया कि विश्वविद्यालय के इतिहास में एक काला अध्याय जुड़ गया।
पिछले तीन दिनों की तरह ही शुक्रवार की सुबह भी छात्र धरने पर थे। सुबह दस बजे एबीवीपी से जुड़े लोग भी आए और धरने पर बैठ गए। करीब डेढ़ घंटे तक अपने मुखिया (कुलपति) को बुलाने पर छात्र अड़े थे। इस बीच आए कुलपति सीधे अपने कार्यालय में जाकर बैठ गए। इस पर छात्रों का गुस्सा भड़का, मगर कुछ लोगों ने समझाया और एक बार फिर छात्र वहां से उठकर कुलपति कार्यालय के नीचे धरने पर बैठ गए।
मांगों को दोहराया और कहा कि कुलपति जी आइए, हमारी बात सुन लीजिए, हम आप के ही छात्र हैं। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। बल्कि कुलपति कार्यालय से निकलकर सीधे गाड़ी की ओर जाना चाहते थे। उनका रुख देखकर छात्र भड़क गए और सारी हदें पार कर दीं। पीछे से एक आवाज लगाई… पकड़ो…पकड़ो.. फिर भाग रहे हैं कुलपति जी।
दोपहर 3.30 बजे कुलपति ने खुद निकलने से पहले पुलिस बुला ली थी। पहले एक गाड़ी पहुंची थी। फिर सीओ आ गए और देखते ही देखते परिसर में पुलिसवालों की भीड़ लग गई। छात्रों को पहले लगा कि पुलिस कुलपति से मिलाएगी, लेकिन पुलिसवालों की भीड़ से कुछ छात्रों ने अंदाजा लगा लिया था कि कुलपति जी सीधे चले जाएंगे। शाम 06.32 बजे : हिरासत में लिए छात्र अर्पित की तबीयत खराब हो गई, आनन फानन अस्पताल भेजा गया।
यही वजह थी कि छात्र उग्र हो गए और लात-घूंसे चलने लगे। फिर क्या, न कुलपति बचे और कुलसचिव न इन दोनों को बचाने के लिए आए सीओ व पुलिस ही बच पाई। सब पीटे, कोई कम, कोई ज्यादा।
ऐसा नहीं है कि छात्रों का गुस्सा शुक्रवार को अचानक भड़क गया। पिछले करीब एक महीने से विश्वविद्यालय प्रशासन व छात्र संगठन एबीवीपी के बीच रस्साकशी चल रही है। इसकी शुरुआत 26 जून को ही हो गई थी। छात्रों की फीस वृद्धि और परीक्षा परिणाम घोषित करने जैसे छात्रहित के मुद्दों को लेकर प्रशासनिक भवन में स्थित कुलपति कार्यालय के पास छात्र पहुंचे थे।
वह कुलपति से मिलना चाहते थे, लेकिन गेट पर ही रोक लिया गया था। अंदर से ताला बंद कर दिया गया। फिर छात्र गुस्से में आए और ताला तोड़कर अंदर दाखिल हो गए। एक के बाद एक कर तीन गेट का ताला तोड़े और प्रदर्शन किए। दो घंटे प्रदर्शन के बाद कुलपति ने मुलाकात की। एक-एक छात्रों की बातें भी सुनी और आश्वासन भी दिया था। लेकिन समय के साथ एक भी आश्वासन पर काम नहीं हुआ तो छात्र फिर 13 जुलाई को फिर से छात्रों ने पुरानी मांग को लेकर मुख्य गेट पर प्रदर्शन कर कुलपति का पुतला फूंका गया।
इस दौरान मुख्य नियंता डॉ. सत्यपाल सिंह रोकने को पहुंचे थे, जिसे लेकर झड़प भी हुई थी। लेकिन समाधान इसके बाद भी निकल नहीं सका। छात्रों की इस हरकत के बाद नाराज विश्वविद्यालय प्रशासन ने 15 जुलाई को चार छात्रों को निलंबित कर दिया और बाहरियों के प्रवेश पर रोक लगा दी। अब छात्रों की मांग में निलंबन को वापस लेने की मांग बढ़ गई।
इसके बाद 18 जुलाई से छात्र धरने पर बैठ गए। रोजाना दो घंटे धरने पर बैठकर एबीवीपी से जुड़े छात्र यह संदेश देने की कोशिश कर रहे थे कि उनकी मांग मान ली जाए। मगर, ऐसा नहीं हुआ और शुक्रवार को गुस्सा इतना बढ़ गया कि विश्वविद्यालय के इतिहास में एक काला अध्याय जुड़ गया। झड़प तो कई बार हुई है, लेकिन जिस तरह से कुलपति व कुलसचिव के साथ मारपीट हुई है, शायद अपने आप में यह पहली बार हुआ है।
कुछ इस तरह चला घटनाक्रम
- सुबह 10 बजे: एबीवीपी के छात्र विश्वविद्यालय मुख्य गेट पर धरने पर बैठे
- सुबह 11.35 बजे: धरने पर बैठे छात्र प्रशासनिक भवन में पहुंच गए और नारेबाजी करने लगे
- सुबह 11.40 बजे: कुलपति कार्यालय पर पहुंच गए और कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए
- दोपहर 2.50 बजे : चौकी इंचार्ज व अन्य पुलिस वालों का आना शुरू हुआ
- दोपहर 3 बजे: प्रांत संगठन मंत्री हरदेव को कुलपति कार्यालय में वार्ता के लिए बुलाया गया
- दोपहर 3.20 बजे : अंदर जाने पर नियंता मंडल ने खुद बात की बात कही, जिस पर वह वापस आ गया
- दोपहर 3.30 बजे: सीओ कैंट पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंच गए
- दोपहर 3.50 बजे : कुलपति कार्यालय बाहर आवास के लिए निकले थे, फिर मारपीट हो गया
- शाम 04 बजे : कुलपति को छात्रों के बीच से किसी तरह से बचाकर अंदर ले गई
- शाम 04.10 बजे : कुलपति को किसी तरह से गाड़ी तक पहुंचाया गया और फिर वह जा सके
- शाम 04.35 बजे : पुलिस हिरासत में लिए गए दस छात्रों को लेकर कैंट थाने पहुंची थी
- शाम 04.45 बजे : समर्थन में कई छात्र भी कैंट थाने पहुंच गए
- शाम 05.10 बजे : एबीवीपी की गोरक्षप्रांत की अध्यक्ष प्रो. सुषमा पांडेय कैंट थाने पहुंची
- शाम 05.20 बजे : कैंट थाने के सामने सड़क जाम करने की कोशिश हुई, पुलिस ने सख्ती की