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आकाश राय
एपीएस-2013 के तहत लिखित, टाइप और शॉर्टहैंड की परीक्षा हो चुकी है। इसका परिणाम भी जारी किया जा चुका है। तीसरे चरण की कंप्यूटर ज्ञान परीक्षा होनी थी, लेकिन इससे पहले ही आयोग ने परीक्षा निरस्त कर दी। आयोग ने माना था कि विज्ञापन गलत जारी हो गया था, जिसकी वजह से परीक्षा निरस्त करनी पड़ी।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) एक दशक पुरानी अपर निजी सचिव (एपीएस) भर्ती अब तक पूरी नहीं कर सका। इस भर्ती का विज्ञापन वर्ष 2013 में जारी किया गया था। आयोग के पास एपीएस के नए 300 पदों का अधियाचन भी आ चुका है। इसके बावजूद नई भर्ती के इंतजार में अभ्यर्थी ओवरएज हो रहे हैं।
एपीएस-2013 के तहत लिखित, टाइप और शॉर्टहैंड की परीक्षा हो चुकी है। इसका परिणाम भी जारी किया जा चुका है। तीसरे चरण की कंप्यूटर ज्ञान परीक्षा होनी थी, लेकिन इससे पहले ही आयोग ने परीक्षा निरस्त कर दी। आयोग ने माना था कि विज्ञापन गलत जारी हो गया था, जिसकी वजह से परीक्षा निरस्त करनी पड़ी। साथ ही पुनर्परीक्षा कराने के लिए आयोग ने बाद में पुराने अभ्यर्थियों से दोबारा आवेदन भी लिए।
इसके बावजूद यह भर्ती अब तक अधूरी पड़ी है। आयोग ने पुनर्परीक्षा भी नहीं कराई। मामला अब कोर्ट में है। जो अभ्यर्थी लिखित और टाइप एवं शॉटहैंड परीक्षा उत्तीर्ण कर कंप्यटर ज्ञान परीक्षा तक पहुंचे, वे चाहते हैं कि पुनर्परीक्षा न हो, बल्कि पुरानी परीक्षा को ही पूरा कराया जाए। इस मुद्दे पर आंदोलन कर रहे उमेश चंद्र पांडेय और अन्य अभ्यर्थियों का आरोप है कि आयोग कोर्ट में प्रभावी पैरवी नहीं कर रहा है।
आयोग मामले को टाले रखना चाहता है, जिसकी वजह से अभ्यर्थी एक दशक से नौकरी के लिए भटक रहे हैं। आयोग को एपीएस के 300 से अधिक पदों का अधिचायन भी मिल चुका है, लेकिन नई भर्ती का विज्ञापन जारी नहीं किया जा रहा। अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री और आयोग के अध्यक्ष से मांग भी की है कि पुरानी और नई भर्ती में जितना अंतराल होगा, अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल होने के लिए अधिकतम आयु सीमा में उतने ही वर्षों की छूट मिले।
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