जिले से होकर गुजरने वाली ट्रेनों में यूरिया की तस्करी धड़ल्ले से हो रही है। यहां की यूरिया बिहार भेजी जा रही है।

उत्तर प्रदेश कुशीनगर

सफल समाचार 
विश्वजीत राय 

तस्करी में संलिप्त बताए जा रहे उर्वरक विक्रेता, रेलवे में सुरक्षा से जुड़े कुछ अधिकारी व अन्य लोग

सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क मार्ग से भी हो रही यूरिया की तस्करी

खड्डा। जिले से होकर गुजरने वाली ट्रेनों में यूरिया की तस्करी धड़ल्ले से हो रही है। यहां की यूरिया बिहार भेजी जा रही है। दुकानदार धंधेबाजों को 350 रुपये में एक बोरी यूरिया देकर कमाई कर रहे हैं। इसके बाद बिहार जाने वाली ट्रेनों में लादकर 600 रुपये प्रति बोरी तक की दर से बेची जा रही है। तस्करी करने वाले इसके लिए जीआरपी और आरपीएफ को प्रति बोरी 50 रुपये तक रिश्वत देते हैं। यूरिया की तस्करी में संलिप्त लोग जनपद के किसानों का हक मार रहे हैं। इसकी तस्करी सड़क मार्ग से भी हो रही है।
खड्डा रेलवे स्टेशन से होकर बिहार जाने वाली सवारी गाड़ी सहित एक्सप्रेस ट्रेनों में अवैध तरीके से यूरिया लोड करने का धंधा बड़े पैमाने पर चल रहा है। बिहार में यूरिया की किल्लत को देखते हुए धंधेबाजों ने खड्डा कस्बे के कुछ उर्वरक दुकानदारों से साठगांठ कर ली है।

जहां स्थानीय किसानों को आधार कार्ड देने पर यूरिया मिलती है, इसके उलट अवैध तरीके से मुनाफा के लिए कागजी हेराफेरी करके बड़ी मात्रा में तस्करों को खाद उपलब्ध कराई जा रही है। इसके एवज में 350 से 400 रुपये प्रति बोरी कीमत लेते हैं। इसके बाद दिन के उजाले व रात के अंधेरे में दुकानों से यूरिया को ठेले आदि पर लोडकर रेलवे स्टेशन के पश्चिम हिस्से की सटी दीवार के पास लाकर इकट्ठा किया जा रहा है।
धंधेबाजों ने रेलवे की चहारदीवारी के थोड़े से हिस्से को तोड़कर प्लेटफार्म तक आने-जाने का रास्ता बना लिया है। इन्हें ट्रेनों के आने व जाने की पल-पल की जानकारी रहती है। जैसे ही ट्रेन स्टेशन पर रुकती है। इसमें शामिल सभी लोग एक साथ सक्रिय हो जाते हैं और तेजी से यूरिया की बोरियों को सवारी डब्बे में फेंकते हैं। अत्यंत कम समय में लगभग 100 बोरी तक यूरिया लोड कर देते हैं और ट्रेन बिहार की ओर चल देती है। न तो इन्हें बुक किया जाता है और न ही कोई रोकता है।

यूरिया ले जाने वाले बिहार के एक युवक ने बताया कि एक बोरी यूरिया पर सुरक्षा कर्मचारियों आदि को 50 से 60 रुपये सुविधाशुल्क देना पड़ता है। रुपये देने के बाद कोई नहीं रोकता है। बिहार में एक बोरी 500 से 600 रुपये में बिक जाती है। दुकानदार एक बोरी के लिए 350 से 400 रुपये तक लेते हैं। इसके बाद ठेला भाड़ा व लोड कराने का पैसा पल्लेदारों को देना पड़ता है। इसके अतिरिक्त पनियहवा पुल व नाव के जरिए भी खाद बिहार भेजी जा रही है।

आधार कार्ड व रिटेलर के जरिए हो रही हेराफेरी
नियम के मुताबिक, किसानों को यूरिया खरीद के लिए आधार कार्ड लेकर दुकान पर जाना है। वहां पीओएस मशीन में अंगूठा लगता है। तब एक से दो बोरी यूरिया मिलती है, लेकिन बिहार के लोगों को देने व मुनाफा कमाने के लिए यह किया जाता है कि कोई रिटेलर (फुटकर) दुकानदार 50 बोरी यूरिया खरीदता है तो कागज में 100 बोरी दिखा दिया जाता है और स्टाॅक में 50 बोरी यूरिया बचा लेते हैं।
इसी तरह बड़े पैमाने पर स्टाॅक में बची यूरिया को बिना आधार कार्ड के मुनाफा लेकर बिहार भेजवा दिया जाता है। इसके अलावा कोई किसान एक बोरी यूरिया खरीदता है तो उसे दो बोरी क्रय करना दिखा दिया जाता है। कुछ ऐसे भी बड़े दुकानदार हैं, जिन्होंने क्षेत्र के जन सेवा केंद्रों या मिनी बैंकों पर पीओएस मशीन रखवा दिया है। इन जगहों पर लोग पहुंचते हैं तो आधार कार्ड के साथ इस मशीन पर अंगूठा लगवा लिया जाता है और कागज के रिकॉर्ड में यूरिया खरीद दिखा देते हैं।

सरकारी रेट पर यूरिया मिलनी मुश्किल
खाद के एक रिटेलर दुकानदार बताते हैं कि यूरिया की बोरी पर सरकार ने 266.50 रुपये मूल्य अंकित किया है, लेकिन फुटकर दुकानदार को 300 से 310 रुपये में बड़े दुकानदार देते हैं। ऐसे में मजबूरी में महंगा बेचना पड़ता है।

सरकारी सिस्टम व बड़े होल सेलर पर दोषारोपण
एक खाद दुकानदार बताते हैं कि सरकारी रेट छपा है। 266.50 रुपये में किसान को देना है, लेकिन यूरिया की रैक देवरिया में लगती है। वहां से बड़े आाढ़तिया एक बोरी यूरिया की कीमत लगभग 252 से 255 रुपये तक लेते हैं। वहां से खड्डा तक एक बोरी का ट्रक भाड़ा 28 से 30 रुपये पड़ता है। इसके बाद प्रति बोरी दो रुपये पल्लेदारी देनी पड़ती है।
कुल मिलाकर एक बोरी 285 से 287 रुपये पड़ जाती है। ऐसे में कैसे संभव है कि अंकित रेट पर किसान को यूरिया दी जा सके। यह सब सिस्टम की गड़बड़ी है। अधिकारी इस बात को जानबूझकर अनसुना कर देते हैं।

वर्जन-
इस मामले में जिला कृषि अधिकारी से वार्ता करके आवश्यक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी, ताकि यूरिया की तस्करी पर अंकुश लग सके।
आशुतोष, एसडीएम, खड्डा

शिकायत मिली है। इसकी जांच के लिए मोबाइल टीम गठित की गई है। यदि शिकायत सही मिलती है तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
मेनका सिंह, जिला कृषि अधिकारी

ट्रेन से यूरिया बिहार बिना नियम-कायदे के ले जाना अपराध है। इसकी जांच कराते हुए संबंधित लोगों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

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