मौजूदा समय में डिपो से लखनऊ, कानपुर, हरिद्वार, दिल्ली, वाराणसी, सीतापुर समेत अन्य मार्गो पर निगम की बसों का संचालन किया जा रहा है। लेकिन यहीं से ठीक रूपईडीहा थाने के सामने से संचालित टैक्सी स्टैंड से दो दर्जन से अधिक गैर प्रांतों की टूरिस्ट बसें जयपुर, हरिद्वार, दिल्ली, पंजाब आदि प्रांतों के लिए जातीं हैं।
इसके अलावा नेपाल-भारत मैत्री सेवा के तहत महज एक बस का संचालन नेपाल से होने पर संधि बनीं थी। इसके बावजूद बस संचालक दोनों देशों की संधि को धता बताते हुए अवैध तरीके से खुलेआम 15 बसों का संचालन नेपाल से हरिद्वार व दिल्ली के लिए कर रहे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री व परिवहन आयुक्त का सख्त निर्देश है कि इस तरह की बसों के संचालन पर सख्ती के साथ कार्रवाई की जाए, लेकिन खाकी की हनक के आगे जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए हैं।
हर फेरे के तय दाम
पुलिस व परिवहन विभाग से जुड़े सूत्र बताते है कि सीमा से बिना परमिट के जिन बसों का संचालन होता है, उनको हर फेरे के दाम संबंधित विभागों को देना होता है। हाल यह है कि एआरटीओ की टीम से जुड़े लोग सुबह से लेकर शाम तक इन बस स्टैंड के आसपास सक्रिय रहते हैं। यह स्टैंड भी अवैध है। लेकिन माेटी कमाई के चलते इन पर कभी कोई कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठाता है।
कार्रवाई को लेकर है लिखा पत्र
रूपईडीहा डिपो के प्रभारी एआरएम ठेकन राम का कहना है नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र में अवैध बसों के संचालन को लेकर बीते 7 जुलाई को एआरटीओ को पत्र भेजकर अवगत कराया गया है। अभी तक कार्रवाई की जानकारी नहीं हैं। पुन: कार्रवाई को लेकर पत्र भेजा जाएगा। बसें बिना यात्रियों के जाती है और राजस्व का नुकसान होता है।
13 वाहनों का कर चुके हैं चालान
एआरटीओ प्रवर्तन ओपी सिंह कहते हैं रूपईडीहा के पास नेपाल सीमा व उसके आस-पास के इलाकों में निरंतर अभियान चलाया जाता है। इस दौरान सही पाने पर वाहन को छोड़ दिया जाता है और गलत पाने पर चालान की कार्रवाई की जाती है। एक माह में 13 वाहनों का चालान किया जा चुका है। मैत्री सेवा के नाम पर चल रही बसों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा चुकी है।