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विश्वजीत राय
हाटा में सील करने के दौरान एक डिप्टी सीएमओ और बाबू का नाम आया चर्चा में
पडरौना। जिले में अवैध अस्पतालों की भरमार है। इनका नेटवर्क इतना तगड़ा है कि सील होने के बाद अस्पताल चंद दिनों में फिर खुल जाते हैं। ऐसे संचालकों पर सीएमओ दफ्तर के 14 नंबर कमरे का आशीर्वाद है। जोड़तोड़ में माहिर सीएमओ दफ्तर का बाबू अफसरों को भ्रामक जानकारी देकर इस खेल को अंजाम एक डिप्टी सीएमओ की मिलीभगत से दे रहा है। हाटा एसडीएम की तरफ से अवैध अस्पताल को सील करने के बाद डीएम को भेजी गई रिपोर्ट में बाबू का नाम चर्चा में आया है।
जिले में अभी तक सिर्फ 125 प्राइवेट अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन है, बाकी 225 अस्पतालों के लिए आवेदन सीएमओ कार्यालय में आया है। लेकिन जिले में 500 से अधिक नर्सिंग होम संचालित हो रहे हैं। कोई ऐसा चौराहा नहीं हैं, जहां नर्सिंग होम न खुले हों और नामी डॉक्टरों का बोर्ड न लगा हो।
जिले में फैले अवैध अस्पतालों के नेटवर्क के पीछे सीएमओ कार्यालय के एक बाबू और एक डिप्टी सीएमओ की शह है। चाह कर भी ऐसे अस्पताल संचालकों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। एक महीने के अंदर बिना रजिस्ट्रेशन वाले अस्पतालों को सील भी किया गया, लेकिन यह कार्रवाई प्रभावी नहीं रही। विभागीय मिलीभगत से फिर अस्पतालों में इलाज शुरू हो गया।
उच्चाधिकारी जब शिकंजा कसते हैं, तो ऐसे अस्पताल संचालकों को सीएमओ कार्यालय के बाबू नोटिस देकर चुप्पी साध लेते हैं। नवजात की मौत के बाद हाटा नगर के पूजा अस्पताल को जब एसडीएम ने सील कराया। इस दौरान एक बाबू का नाम सामने आया। एसडीएम की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में इसका जिक्र भी किया गया है।
मकान के बेसमेंट में भी खोल दिया अस्पताल
शहर में मकान के बेसमेंट में भी अस्पताल खोल दिए गए हैं। वाहन खड़ा करने की जगह मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ग्रामीण इलाकों में संचालित होने वाले अवैध अस्पतालों में कैसे मरीजों का इलाज होता होगा। चर्चित डॉक्टरों के नाम का बोर्ड देखकर लोग झांसे में आकर इलाज कराते हैं। मामला बिगड़ने पर पता चलता है कि जिस डॉक्टर का नाम बोर्ड पर है। वह कभी आता ही नहीं है।
जिन अस्पतालों को किया गया सील, वहां नहीं मिले नामी डॉक्टर
तीन माह के अंदर सीएमओ कार्यालय की टीम ने जितने अस्पतालों को सील किया है। उन अस्पतालों पर जिन डॉक्टरों के नाम का बोर्ड लगा है। उसमें से एक भी नहीं मिले हैं। कई अस्पताल संचालकों को नोटिस देकर डॉक्टर को बुलाने का समय भी दिया गया है। बावजूद इसके डॉक्टर सीएमओ कार्यालय नहीं पहुंचे हैं। सीएमओ कार्यालय से निकला अवैध अस्पतालों का नेटवर्क पूरे जिले में फैल चुका है। इन अस्पताल संचालकों में कार्रवाई का भी भय नहीं है।
जिले में सिर्फ 47 पैथाेलॉजी का है रजिस्ट्रेशन
सीएमओ कार्यालय में 71 अल्ट्रासाउंड का रजिस्ट्रेशन है, जबकि 47 पैथाेलॉजी का। लेकिन 100 से अधिक पैथाेलॉजी पडरौना शहर में ही मिल जाएंगे। लगभग सभी नर्सिंग होम में पैथाेलॉजी है। इसके अलावा गली और चौराहों पर भी खोल रखे हैं।
वर्जन
कार्यालय के बाबू पर जो आरोप लग रहे हैं, वे जांच के विषय हैं। अवैध अस्पताल संचालकों पर अभियान चलाकर कार्रवाई की जा रही है। जरूरत पड़ने पर केस भी दर्ज कराया जाता है। मानक को पूरा नहीं करने वाले प्राइवेट अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन नहीं किया जाता है। जिन डॉक्टरों के नाम पर रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं। वह डॉक्टर नहीं मिल रहे है। ऐसे अस्पतालों को सील किया जा रहा है।