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शेर मोहम्मद
सलेमपुर। लार से यात्रियों को लेकर बुधवार को देवरिया जा रही अनुबंधित बस में लार-सलेमपुर मार्ग पर भुडुसरी गांव के सामने अचानक शार्ट सर्किट से इंजन में आग लग गई। यह देख यात्री चीखने लगे। चालक ने रफ्तार धीमी की तो आनन-फानन में यात्री चलती बस से कूद बाहर निकले। इस दौरान अफरातफरी मच गई। मौजूद लोगों व चालक के सहयोग से किसी तरह आग पर काबू पाया गया।
गोरखपुर डिपो की अनुबंधित बस संख्या यूपी 53 सीटी- 9120 सुबह 11 बजे लार से 31 यात्रियों को लेकर देवरिया जा रही थी। बस लार-सलेमपुर मार्ग पर भुडुसरी गांव के सामने पहुंची थी। तभी अचानक इंजन के पास लगा तार शार्ट करने लगा। कुछ ही देर में धुएं के साथ आग की लपट दिखाई दी। चलती बस में आग और धुएं को देख यात्रियों में चीख पुकार मच गई। लोगों को चीखते देख चालक ने बस को रोक दिया। इस दौरान कई यात्री जान बचाने की फिराक में बस के अंदर से कूदने लगे, जिससे कई यात्रियों को हल्की चोटें भी आई हैं। यह देख रास्ते पर राहगीरों की भीड़ जुट गई। उधर, मौजूद लोगों व चालक के सहयोग से आग पर काबू पाया गया। इस दौरान मुख्य सड़क पर वाहनों की कतारें लग गईं।
बस में शार्ट-सर्किट से आग लगने के बाद यात्रियों में हड़कंप मच गया। आग की लपट को बुझाने के लिए कपड़े का प्रयोग करना पड़ा। वहीं बस की अंदर अग्निशमन यंत्र नहीं था। आकस्मिक चिकित्सा बाक्स भी खाली था बस में सवार यात्रियों ने कहा कि अगर आग की लपट तेज होती तो इसे काबू करना मुश्किल होता और बड़ी घटना हो सकती थी।
आय सात करोड़ पर बसों में सुरक्षा के इंतजाम नहीं
देवरिया। डिपो की अधिकांश बसों में आग लगने पर इसे बुझाने के लिए इंतजाम नहीं हैं। बसों के नीचे एक्सपायर हो अग्निशमन यंत्र केवल दिखावे के लिए पड़े हैं। वहीं, चालक की सीट के बिल्कुल पीछे फर्स्ट एड बाक्स में मरहम-पट्टी तक नहीं रखा जाता। ज्यादातर बसों के फर्स्ट एड बॉक्स तक टूटे हुए हैं। जिम्मेदार भी यात्री सुरक्षा से जुड़े इस पहलू को लेकर लापरवाह ही दिखते हैं। वे भी तब ही चेतते हैं जब कोई बड़ा हादसा हो जाता है।
बस निगम की हो या अनुबंधित, अधिकतर में सुरक्षा के इंतजामों की निगरानी भगवान भरोसे ही है। निगम की बसों के मरम्मत का कार्य वर्कशाप में किया जाता है, यहां भी संबंधित बस में यह उपकरण सही सलामत है या नहीं, फोरमैन की ओर से इसकी जांच तक नहीं की जाती। अनुबंधित बस मालिकों को भी केवल वाहन से जुड़े मुनाफे से ही मतलब ज्यादा होता है। बस की नियमित सफाई, सही खिड़कियां, अग्निशमन यंत्र काम कर रहा है या नहीं, फर्स्ट एड बाक्स में सभी उपलब्ध सामग्री मौजूद है या नहीं, इससे उन्हें कोई सरोकार नहीं होता है। जबकि निगम की हर दिन 20 से 25 लाख रुपये का आय है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि हर माह सात करोड़ रुपये की आय हो रही है। इतना ही नहीं, हर रोज करीब 30 हजार यात्री यात्रा करते है।
निगम हो या अनुबंधित, हर जगह दिखी लापरवाही
दोपहर तीन बजे- डिपो में खड़ी पकहा-पथरदेवा जाने वाले निगम की बस संख्या यूपी 77 एएन 2992, देवरिया-लखनऊ से होकर कानपुर जाने वाली यूपी 35 टी 9177, देवरिया-गोरखपुर से दिल्ली जाने वाली यूपी 53 सीटी 9508 में अग्निशमन यंत्र और फर्स्ट एड बॉक्स गायब मिला। सी तरह मगहरा-देवरिया-गोरखपुर से लार तक चलने वाली अनुबंधित बस संख्या यूपी 52 टी3752, देवरिया-गोरखपुर-सलेमपुर मार्ग पर चलने वाली यूपी 52 एफ 8902, देवरिया-गोरखपुर-सलेमपुर पर बस संख्या यूपी 52 टी 4643 में भी यही हाल मिला।
डिपो के पास है 194 बसों का बेड़ा
देवरिया डिपो में वर्तमान में निगम की 65 एवं अनुबंधित 129 बसों का संचालन हो रहा है। बेड़े में शामिल हुई नई बसों को छोड़ दें तो पुरानी बसों में यात्रियों की सुरक्षा को लेकर बड़ी लापरवाही बरती जा रही है। अनुबंधित बस में गंदी सीटों पर ही बैठना यात्रियों की मजबूरी होती है। साथ ही सीटों के बीच कम जगह होने से यात्रियों को बैठने तक में परेशानी होती है। अनुबंध करने से पहले गोरखपुर परिक्षेत्र कार्यालय के पटल लिपिक क्या देखकर अनुबंध करते हैं, इसे लेकर यात्री अधिकारियों पर ही सवाल उठाते रहते हैं।
कोट
लार से आ रही बस में सभी यात्री सकुशल बाहर निकल गए, कोई हताहत नहीं हुआ है। डिपो की सभी बसों की अग्निशमन यंत्र की वैधता की जांच कराकर इसे सही कराया जाएगा। साथ ही फर्स्ट एड बाक्स में दवा व मरहम पट्टी अवश्य रहे, इसकी व्यवस्था बनेगी।