परशुराम निषाद कई सालों तक दुबई में रहते थे। घर पर आने के बाद गांव और सड़क पर मकान बनवा लिए थे। एक महीने पहले ही नई बोलेरो लाए थे

उत्तर प्रदेश गोरखपुर

सफल समाचार 
सुनीता राय 

परशुराम निषाद कई सालों तक दुबई में रहते थे। घर पर आने के बाद गांव और सड़क पर मकान बनवा लिए थे। एक महीने पहले ही नई बोलेरो लाए थे, लेकिन एक सप्ताह से इनके घर में पारिवारिक कलह बढ़ गई थी। ग्रामीणों की मानें तो वे कुछ खेत बेचना चाह रहे थे। इसका उनके बेटे विरोध कर रहे थे।

बेटे पर कार्रवाई की फरियाद लेकर कप्तानगंज थाने पर गए 62 वर्षीय वृद्ध की अचानक तबीयत बिगड़ गई। पुलिसकर्मी उसे सीएचसी ले गए, जहां से जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। जिला अस्पताल ले जाने पर डाॅक्टर ने क्षेत्र के कल्यानपुर निवासी परशुराम निषाद को मृत घोषित कर दिया। एएसपी दीपेंद्र नाथ चौधरी ने बताया कि शव का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। डाॅक्टर ने बताया कि उनका ब्लड प्रेशर और शुगर का इलाज चल रहा था।

जानकारी के अनुसार कल्यानपुर चौराहे पर मकान बनाकर परशुराम निषाद धुलाई सेंटर चलाते थे। गांव के पुराने मकान पर दो बेटे देवेंद्र निषाद और योगेश निषाद रहते हैं। इन लोगों के बीच तीन दिनों से खेत में धान की रोपाई को लेकर विवाद चल रहा था।

इसी विवाद के चलते परशुराम निषाद के बेटों ने बुधवार सुबह अपनी माता से हाथापाई शुरू कर दी। इस पर माता को बचाने सबसे छोटी बेटी रुपाली आई। तो दोनों माता को छोड़कर रुपाली की पिटाई करने लगे, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। परशुराम निषाद ने उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया था।

बुधवार को उसने इसकी शिकायत कप्तानगंज पुलिस से की। पुलिस ने दोनों पक्षों को बृहस्पतिवार को थाने पर बुलाया था। बताया जा रहा है कि बृहस्पतिवार को 10 बजे दोनों बेटे और परशुराम थाने पहुंचे। पारिवारिक मामला होने की वजह से दोपहर 12 बजे पुलिस उनमें सुलह का प्रयास करने लगी। इसी बीच परशुराम निषाद की नाक से अचानक खून निकलने लगा और उल्टी होने लगी। आनन-फानन में पुलिस परशुराम निषाद को पहले सीएचसी कप्तानगंज ले गई वहां से डाॅक्टरों ने तुरंत रेफर कर दिया। जिला अस्पताल पहुंचने पर डाॅक्टरों ने परशुराम निषाद को मृत घोषित कर दिया।

परशुराम निषाद की मौत की खबर मिलते ही परिजन और रिश्तेदारों के अलावा पुलिस अधिकारी जिला अस्पताल पहुंच गए। कप्तानगंज के सीएचसी प्रभारी डॉ. रवींद्र वर्मा ने बताया कि अस्पताल लाने के पहले ही पल्स बैठ गया था। हालत काफी नाजुक थी। ड्रिप लगाकर जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया था।
 
 

खेत बेचने को लेकर शुरू हुआ था विवाद

परशुराम निषाद कई सालों तक दुबई में रहते थे। घर पर आने के बाद गांव और सड़क पर मकान बनवा लिए थे। एक महीने पहले ही नई बोलेरो लाए थे, लेकिन एक सप्ताह से इनके घर में पारिवारिक कलह बढ़ गई थी। ग्रामीणों की मानें तो वे कुछ खेत बेचना चाह रहे थे। इसका उनके बेटे विरोध कर रहे थे।

घर में मचा कोहराम
परशुराम निषाद की मौत से परिवार का रो रोकर बुरा हाल है। पति की मौत से सुभावती देवी और बेटियां बेहाल हैं। बेटियों में बड़ी बेटी आशा, तारा, उषा की शादी हो चुकी है। वहीं परिजनों की चीख पुकार सुनकर सबका कलेजा फट रहा था। वहीं नाना की मौत से आरती पूजा की हालत देखकर हर किसी की आंखें नम हो जाती हैं।

पिता की मौत के बाद भी घर नहीं आया छोटा बेटा योगेश
परशुराम की मौत के बाद छोटा बेटा योगेश निषाद गांव में बेफिक्र घूमता रहा। उसे न तो लोकलाज का डर था और न ही पिता के मरने का गम। वह घर के सामने से कई बार घूमता रहा। यह देख कर हर कोई उसको कोसता रहा।

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