स्वतंत्रता आंदोलन में आदिवासी सेनानियों का स्वतंत्रता आंदोलन में रहा है महत्वपूर्ण योगदान-दीपक कुमार केसरवानी

उत्तर प्रदेश सोनभद्र

सफल समाचार गणेश कुमार 

स्वतंत्रता आंदोलन में आदिवासी सेनानियों का स्वतंत्रता आंदोलन में रहा है महत्वपूर्ण योगदान -दीपक कुमार केसरवानी

▪️जिला प्रशासन द्वारा सेनानी परिजनों की खोज कराई जानी चाहिए।

▪️जिला प्रशासन द्वारा प्रत्येक ब्लॉकों में सम्मान का कार्यक्रम आयोजित किया जाना चाहिए।

▪️सेनानियों के नाम पर गांव सड़कों का नामकरण किया जाना चाहिए।

रॉबर्ट्सगंज (सोनभद्र)-आजादी के पूर्व मिर्जापुर का दक्षिणांचल कहे जाने वाले वर्तमान जनपद सोनभद्र के इतिहास में आदिवासियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है और आदिवासी जन महात्मा गांधी के आवाहन पर कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे बिना किसी की परवाह किए और ब्रिटिश हुकूमत के प्रताड़ना का शिकार भी हुए, जेल यात्रा, जमीन जायदाद की नीलामी, शारीरिक प्रताड़ना एवं परिजनों को आर्थिक, शारीरिक रूप से प्रताड़ना इत्यादि कष्टों को झेलते रहे, लेकिन ब्रिटिश हुकूमत के सामने सिर नहीं झुकाया।आदिवासी लोक कला केंद्र की सचिव/साहित्यकार प्रतिभा देवी के अनुसार-“जनपद सोनभद्र आदिवासी बाहुल्य जनपद है और स्वतंत्रता आंदोलन में इस चित्र की आदिवासी जनों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था लेकिन दुर्भाग्यवश उन सभी सेनानियों का नाम सरकारी लिस्ट में नहीं सबका नहीं है प्रोफेसर विश्राम सिंह की कृति मिर्जापुर के स्वतंत्रता आंदोलन के अनुसार जनपद सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज तहसील से हरिवंश धांगर, विष्णु धांगर, शंकर माझी राम हरख खरवार, शिवनाथ प्रसाद गोड।तहसील घोरावल से झिगई पनिका, मंगल वियार।तहसील दुद्ध से रामेश्वर खरवार, सुखलाल खरवार, शनिचर राम खरवार, बोधा पनिका, पूरन खरवार, जगन्नाथ खरवार,चिंतामणि खरवार ने महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए सन 1921 से 15 अगस्त 1947 तक ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लिया और प्रताड़ना के शिकार हुए।सन् 1921 में जब महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता आंदोलन का बिगुल बजाया उसकी क्रांतिकारी ध्वनि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र दुद्धीऔर रॉबर्ट्सगंज तहसील के लोगों को सुनाई दिया और सभी लोग कंधे से कंधा मिलाकर अंग्रेजो के खिलाफ खड़े हो गए थे।

25 दिसंबर 1937 को लोकप्रिय नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू का टाउन एरिया मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज में आगमन, मिर्जापुर जनपद की ऐतिहासिक, महत्वपूर्ण घटना थी और संभवत प्रथम बार पंडित जवाहरलाल नेहरु आदिवासी, संस्कृति एवं कला से परिचित हुए थे।स्वतंत्रता के पश्चात क्षेत्र में होने वाले लोकसभा, विधानसभा एवं स्थानीय निकाय चुनाव में आदिवासी जनप्रतिनिधियों का चुना जाना अपने आप में महत्वपूर्ण एवं इनकी सामाजिक, राजनीति मजबूत स्थिति का द्योतक है।
सोनभद्र जनपद में कुल 112 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की सूची सरकारी अभिलेखों, शहीद उद्यान परासी में लगे गौरव स्तंभ पर दर्ज है।
प्रशासन सोनभद्र द्वारा वर्तमान रॉबर्ट्सगंज, घोरावल, दुद्धी के 10 ब्लॉकों में निवास करने सेनानियों की सूची बनाना चाहिए।स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के गांव एवं सड़कों का नामकरण स्थानीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम पर कराया जाना चाहिए एवं जनपद के दस ब्लॉकों में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों के सम्मान का कार्यक्रम स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े स्थलों की पहचान एवं जीर्णोद्धार का कार्यक्रम आयोजित कराया जाना चाहिए । तभी आजादी के अमृत महोत्सव का उद्देश्य पूरा होगा। 

 

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