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सुनीता राय
एयपोर्ट की तर्ज पर पब्लिक प्राइवेट पार्टनशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत बनने वाले रेलवे बस स्टेशन के लिए छह साल बाद भी निवेशक नहीं मिल सका है। हालत यह है कि अभी बस स्टेशन पर यात्रियों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही है। बस स्टेशन पर न ही शौचालय की व्यवस्था है और न ही शुद्ध पेयजल की। जगह नहीं होने से रोडवेज की बसें सड़क पर खड़ी हो रही हैं, इससे राहगीरों को जाम की समस्या का भी सामना करना पड़ रहा है।
पीपीपी मॉडल पर बस स्टेशन के निर्माण की तैयारी छह साल से चल रही है। इसके लिए करीब 13 बार टेंडर निकाले गए, लेकिन अभी तक किसी कंपनी या फर्म ने इस योजना की निवेश करने में रुचि नहीं दिखाई। स्टेशन के नवनिर्माण पर 92 करोड़ रुपये खर्च किया जाना है।
गोरखपुर बस स्टेशन से प्रतिदिन डिपो से लगभग 500 से अधिक बाहर की बसें आवागमन करती हैं। इसमें गोरखपुर परीक्षेत्र की 700 बसें हैं। इस बसों से 40 से 50 हजार लोग यात्रा करते हैं। बसों से रोडवेज को 20 से 25 लाख की कमाई होती है।
ये होंगे इंतजाम