मलेरिया विभाग के सर्वे में यह बात सामने आई है कि तीन प्रकार के मच्छर सबसे अधिक हैं

उत्तर प्रदेश देवरिया

सफल समाचार 
शेर मोहम्मद 

देवरिया। अगर आप के घर के पास जलभराव हो रहा है तो सजग हो जाएं। नौ प्रजातियों के मच्छर घूम रहे हैं। मलेरिया विभाग के सर्वे में यह बात सामने आई है कि तीन प्रकार के मच्छर सबसे अधिक हैं। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों में क्लूकैक्स मच्छर सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। जबकि एनाफ्लीज मच्छर अधिक संख्या में शहर में हैं। जिन जगहों पर जलभराव है, वहां पर एडीज मच्छरों का प्रकोप भी होता है, जिसके काटने से डेंगू हो जाता है। अभी तक मच्छरजनित बीमारी से करीब डेढ़ हजार से अधिक लोग चपेट में आ चुके हैं।

मलेरिया विभाग के अनुसार मच्छरों के प्रजातियों में एडीज, एनाफ्लीज, क्लूकैक्स की तीन प्रमुख प्रजातियां हैं। इसमें सबसे अधिक संख्या में क्लूकैक्स मच्छर मिलते हैं। इस प्रजाति के सबसे अधिक चार प्रकार के मच्छर होते हैं। साथ ही एनाफ्लीज के तीन और एडीज के दो प्रजाति के मच्छर होते हैं। इनके कारण मच्छर जनित बीमारियों की चपेट में लोग आ रहे हैं। क्लूकैक्स इकलौता ग्रुप है, जिसके मच्छर शहर और देहात दोनों जगह फैले हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि वैसे तो मच्छरों की तीन हजार प्रजातियां होती हैं, लेकिन इनमें ज्यादातर शाकाहारी होते हैं।

मानव रक्त के शौकीन की तीन प्रजातियां होती हैं। इनके काटने से गंभीर रोग होते हैं। प्रभारी जिला मलेरिया अधिकारी सुधाकर मणि ने बताया कि कीट विशेषज्ञ जगह-जगह सैंपलिंग करते हैं। इसमें पाया गया है कि क्लूकैक्स मच्छर गंदे पानी में होता है, जहां नालियां बजबजाती हैं और पानी नहीं निकल पाता है, वहां यह मच्छर पनपनता है। जहां झाड़ियां जमीन के गड्ढे में पानी भरा रहता है और हैंडपंप का ज्यादा इस्तेमाल होता है, वहां एनाफ्लीज पनपते हैं। ये दोनों मच्छर घर के बाहर होते हैं। घरों में एसी, कूलर, फ्रिज और कंटेनर में पानी भरा होने से एडीज की प्रजातियां ब्रीडिंग करती हैं।

क्लूकैक्स
– गंदे पानी में ब्रीडिंग करता है। यह मच्छर शाम के समय काटता है।

चार प्रजातियां
– क्लूकैक्स पिपियंस, क्विनक्वेफासियाटस, विश्नुई, ट्राइटिनियोरिंकस

होने वाले प्रमुख रोग
– फाइलेरिया, इंसेफेलाइटिस

एडीज
– साफ पानी में मिलता है। खासतौर पर कंटेनर, कूलर, फटे टायर आदि में ब्रीडिंग करता है। यह दिन में काटता है।

दो प्रजातियां
– एजिप्टाई, एल्बोपिक्टस
होने वाले प्रमुख रोग
चिकनगुनिया, डेंगू, जीका और इंसेफेलाटिस आदि रोग होते हैं।

एनाफ्लीज
– जमीन के गड्ढे में भरे पानी में ब्रीडिंग करता है। यह किसी भी समय काटता है।
तीन प्रजातियां
– स्टीफेंसाइ, प्यूलीसिफेस, गैंवी

होने वाले प्रमुख रोग
मलेरिया, वाइवैक्स, फेल्सीपेरम

मेडिकल कॉलेज में दस बेड का बना है वार्ड
देवरिया। मेडिकल कॉलेज प्रशासन डेंगू को लेकर सतर्क है। इस बीमारी से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए इंतजाम किए गए हैं। जांच की सुविधा भी है। नए ओपीडी भवन के तीसरी मंजिल पर दस बेड का अलग से वार्ड बनाया गया है। यह पूरी तरह एसी है और दवा सहित अन्य संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। यहां डॉक्टर तथा हर समय एक जूनियर रेजिडेंट, स्टाफ नर्स व मल्टीपरपज वर्कर की तैनाती की गई है।

मच्छरों की रोकथाम के लिए महज तीन मशीन
शहर की ढाई लाख आबादी 33 वार्डों में निवास करती है। इन वार्डों में मलेरिया विभाग के अनुसार नौ तरह के मच्छर घूम रहे हैं। बाहर के मच्छरों से अधिक खतरा अंदर एडीज के मच्छरों से है। इन मच्छरों के काटने से डेंगू होता है। मच्छरों से निजात दिलाने के लिए सरकारी इंतजाम मामूली है। नगर पालिका के पास महज तीन फागिंग मशीनें हैं, जबकि मलेरिया विभाग के पास 19 मशीनें हैं, जिसमें आधे से अधिक खराब हैं।

अगस्त माह में मिले चार मरीज
जनपद में अगस्त माह के बीस दिन में डेंगू के चार मरीज मिले हैं। इसमें सलेमपुर तहसील में तीन तथा रुद्रपुर क्षेत्र का एक मरीज शामिल है। इसमें तीन लोग गैर प्रांत से आए हैं। जबकि एक घर पर ही बीमार हो गया।

घर के सामने हमेशा जलभराव रहता है। इस कारण मच्छर लगते हैं। रात और दिन में बैठना मुश्किल हो जाता है। संक्रामक बीमारी फैलने का भी खतरा रहता है। -पृथ्वी मणि त्रिपाठी, शिवपुरम काॅलोनी

– मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। हर समय मच्छरों से परेशानी होती है। शाम के समय बैठना मुश्किल हो जाता है। मच्छरों के चलते रात में चैन की नींद भी नहीं ले पाते हैं।
-निगम तिवारी, रामनाथ देवरिया

मच्छरों के रोकथाम के लिए नगर पालिका सहित ब्लाकों को छिड़काव के लिए दवा उपलब्ध कराई गई है। डेंगू व मच्छरजनित बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है। जल्द ही टीम विभिन्न क्षेत्रों में भेजकर जांच भी कराई जाएगी। यहां के गैर प्रांत रहने वाले लोग ही पीड़ित होकर आए हैं। जिले में अभी मरीज नहीं मिला है।
सुधाकर मणि, प्रभारी जिला मलेरिया अधिकारी

शहर के वार्डों में मच्छरों के रोकथाम के लिए एंटीलार्वा का छिड़काव और रोस्टर के मुताबिक किया जा रहा है। नगरवासियों को भी सफाई में सहयोग करना चाहिए, ताकि मच्छर न पनप सकें।

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