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शेर मोहम्मद
रुद्रपुर। चीन को सबसे ज्यादा खतरा भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था से है। सुदृढ़ लोकतांत्रिक व्यवस्था के कारण पूरी दुनिया भारत की ओर आशा भरी निगाहाें से देख रही है। यहां के लोकतंत्र की सबसे खूबसूरत बात यह है कि यहां विपरीत विचारधारा के बावजूद दोनों पक्ष एक- दूसरे को सुनते हैं। युद्ध मानवता के विनाश का सबसे बड़ा कारण है, चीन बंदूक की नली पर विश्वास करता है, जबकि भारत की राजनीति सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह पर आधारित है। ये बातें बृहस्पतिवार को रामजी सहाय पीजी कॉलेज में सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु के पूर्व कुलपति प्रो. रजनीकांत पांडेय ने कहीं। वह महाविद्यालय में भारतीय वैश्विक परिषद द्वारा अनुदानित आजादी के अमृत महोत्सव काल में भारत-चीन संबंध विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारंभ पर बोल रहे थे।
प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा ने कहा कि भारत की बात विश्व के मंचों पर की जा रही है, जिसकी वजह से उसकी धाक बनती जा रही है। 140 करोड़ लोगों का बाजार दुनिया को आकर्षित करता है। भारत के बढ़ते प्रभाव से चीन चिंतित है। चीन को एक देश के रूप में मान्यता देने वाला भारत विश्व का पहला गैर साम्यवादी देश है। कार्यक्रम में ”21वीं सदी में भारत-चीन संबंध” विषयक पुस्तक का विमोचन भी किया गया। इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्व कुलपति प्राे. रजनीकांत पांडेय, प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा आचार्य, रक्षा अध्ययन, विभाग ने संयुक्त रूप से मां सरस्वती और संस्थापक रामजी सहाय के चित्र पर माल्यापर्ण, दीप प्रज्ज्वलन कर किया। संगोष्ठी को डॉ. संजीव कुमार, प्रो. अश्विनी कुमार मिश्र, प्रो. केडी तिवारी, प्रो. राम पांडेय, प्रो. देव व्रत तिवारी, प्रो. शैल पांडेय, प्रो. मंजू मिश्र, डॉ. राजवीर सिंह ने भी संबोधित किया।