जमीन पर अब भी काबिज रामनगीना यादव, भगवानदास, रूपनारायन, शिवशंकर आदि ने हाईकोर्ट में केस किया

उत्तर प्रदेश गोरखपुर

सफल समाचार 
सुनीता राय 

जमीन पर अब भी काबिज रामनगीना यादव, भगवानदास, रूपनारायन, शिवशंकर आदि ने हाईकोर्ट में केस किया है। उनका कहना है कि उनकी पुश्तैनी जमीन है। वह किसी भी कीमत पर छोड़ेंगे नहीं। हाईकोर्ट से स्टे लिए है, वहीं से फैसला होगा। ऐसे अचानक यह कह देने से की जमीन उनकी नहीं है, वह मान नहीं सकते।

गोरखपुर जिले में चिलुआताल इलाके के ताल जहदा की 230 एकड़ की जमीन पर कब्जे के मामले में पुलिस ने केस तो दर्ज कर लिया, लेकिन जिन 18 लोगों का वर्तमान में कब्जा है, वह आरोपी नहीं बनाए गए हैं। इसकी वजह उनका हाईकोर्ट में जाना बताया जा रहा है, लेकिन अब इसी बात पर गांववालों की आपत्ति है।

इन गांव वालों का कहना है कि डीएम कोर्ट में केस हारने के बाद से ही हम जमीन छोड़ने के लिए तैयार हो गए थे, लेकिन हमें ही आरोपी बनाकर केस दर्ज कर दिया गया। जबकि जो जबरन काबिज हैं, उन पर प्रशासन मेहरबानी दिखा रहा है…।

गांव में रविवार को यही चर्चा थी। शनिवार की दोपहर तीन बजे के करीब रामनेवास सिंह की दुकान पर ग्रामीण बैठे थे। इसी बात की चर्चा थी कि आखिर केस क्यों दर्ज हो गया। इसी बीच विभूति सिंह बोल पड़े-हमलोग तो कभी जमीन जोते बोए भी नहीं थे। इस वजह से हमने डीएम के आदेश के खिलाफ कोई अपील भी नहीं की। मौके पर कब्जा भी नहीं है, इसके बावजूद भी हमारे ऊपर मुकदमा कर दिया गया।

रामकृपाल सिंह ने कहा- यहां तो आज तक चकबंदी ही नहीं हो पाई। आसपास के गांवों में चकबंदी हो चुकी है। अगर चकबंदी हुई होती तो खुद पता चल जाता, कौन सही कौन गलत है। मुकदमा दर्ज कराने की नौबत ही नहीं आती। बातचीत के बीच ही राजकुमार ने कहा-उनका नाम तो मुकदमे में दर्ज ही नहीं किया गया, जो असल में कब्जा किए हैं। तभी बीएन सिंह बोल पड़े- अरे! वे हाईकोर्ट गए हैं, इस वजह से बचे होंगे। इस बात पर धर्मेंद्र बोल पड़े, लेकिन हम लोग सरकार से नहीं लड़ रहे तो केस हो गया, जो लड़ रहा, वह बचा है। यह भी ठीक नहीं, लेकिन मुख्यमंत्री से उम्मीद है, वह अन्याय नहीं होने देंगे।
 
जमीन पर अब भी काबिज रामनगीना यादव, भगवानदास, रूपनारायन, शिवशंकर आदि ने हाईकोर्ट में केस किया है। उनका कहना है कि उनकी पुश्तैनी जमीन है। वह किसी भी कीमत पर छोड़ेंगे नहीं। हाईकोर्ट से स्टे लिए है, वहीं से फैसला होगा। ऐसे अचानक यह कह देने से की जमीन उनकी नहीं है, वह मान नहीं सकते।

विजय कुमार कहते हैं-वर्षों से जमीन पर खेती की जा रही है। जब से जन्म हुआ है, तब से यही पता है कि हमारी जमीन है, जमीन की चकबंदी भी चल रही है। महेंद्र ने कहा-पूर्वज बताते हैं कि जमीन पहले जमींदारों की थी। जमींदारों ने गांव के लोगों को सौंप दिया तभी से गांव के लोगों का कब्जा है और सब का नाम भी कागज पर चढ़ा है। फिर अब यह कहना कि जमीन सीलिंग की है और उनका कोई हक नहीं है, यह सही नहीं है।

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