मनमोहन राय
सफल समाचार
महराजगंज। देवी-देवताओं की प्रतिमाओं और जलसा जुलूसों में कुछ उत्साही युवा श्रद्धालु डीजे की तेज आवाज पर नाचते-झूमते और शोर मचाते जाते हैं। विसर्जन स्थलों पर गंदगी फैलाते हैं। लोग पूरी रात शोर-शराबे के चलते नींद भर सो नहीं पाते। डीजे की तेज धमक से बुजुर्गों की धड़कनें बढ़ जाती हैं। लोगों का कहना है कि तेज धमक से बीमार, बुजुर्ग ही नहीं, बच्चों और गर्भवती महिलाओं की भी बेचैनी बढ़ जाती है।
गणेश उत्सव तो बीत गया अब दुर्गापूजा-लक्ष्मीपूजा और छठ पर्व को लेकर चिंतित तमाम नागरिकों ने इस समस्या से निपटने को कमर कसी है। शहर के जागरूक लोगों ने इस मसले पर सक्रियता दिखाई है। बृहस्पतिवार को मऊपाकड़ चौराहे पर व्यवसायी रामसेवक साहू, बनारसी मद्धेशिया, मोहन लाल जायसवाल, मुकेश अग्रहरी, राजेश अग्रहरी, गोपाल पटेल ने भ्रमण कर लोगों को जागरूक किया। लोगों को संकल्प दिलाया कि आयोजनों में तेज आवाज में डीजे नहीं बजाएंगे।
प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए ज्यादातर जुलूस सक्सेना चौराहे से होकर गुजरते हैं। नागरिकों का कहना है कि इन्हीं रास्तों से होकर प्रतिमाएं जाती हैं और तेज आवाज में डीजे के बजने से सभी लोग परेशान होते हैं। लोगों ने कहा कि हाईकोर्ट की रोक के बावजूद डीजे बजाने पर रोक नहीं लग पा रही है। डीजे के तेज आवाज से बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, बीमार लोगों को परेशानी होती है। डीजे बजाने वाले अति उत्साही कुछ युवक मना करने पर मारपीट पर उतारू हो जाते हैं।
डीजे से होने वाली परेशानी के बारे में कर रहे जागरूक
शहर के व्यवसायी रामसेवक साहू ने टीम के साथ मऊपाकड में भ्रमण किया। इस दौरान उन्होंने लोगों को डीजे की आवाज से होने वाले नुकसान और परेशानियों के बारे में जागरूक किया। बताया कि डीजे की तेज आवाज से बच्चे रोने-चिल्लाने लगते हैं। बुजुर्ग और बीमार लोगों को तेज आवाज परेशानी होती है। रातभर डीजे बजने से लोग सो नहीं पाते हैं। इससे अगला दिन खराब हो जाता है। डीजे की आवाज से सिर दर्द और उल्टी होती है। हृदय रोगियों को खतरा बना रहता है। इसके अलावा लोग अनिद्रा के शिकार बन रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इस दौरान लोगों ने कहा कि डीजे की आवाज से जहां परेशानी होती है, वहीं फूहड़ गाने बजाए जाने से लोग भी शर्मसार होते हैं। इसलिए इस पर रोक लगाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि शोर शराबे से होने वाले नुकसान का पर्चा छपवा कर शनिवार से पर्चा वितरित होगा। पर्चे में तेज आवाज में डीजे बजाए जाने से होने वाली परेशानी का जिक्र रहेगा। लोगों को जागरूक करने के लिए यह कदम उठाया गया है।
एक्सपर्ट की राय
कोर्ट की गाइडलाइन का पालन कराया जाना जरूरी
-डीजे बजाने को लेकर कोर्ट की गाइडलाइन का पालन कराया जाना जरूरी है। वर्ष 2019 में प्रयागराज के सुशील चंद्र श्रीवास्तव की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल तथा न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने दिया है। कोर्ट ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण कानून का उल्लंघन नागरिकों के मूल अधिकारों का उल्लंघन होगा। कोर्ट ने कहा है कि ध्वनि प्रदूषण कानून का उल्लंघन करने पर पांच साल तक की कैद और एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
यह है हाईकोर्ट का आदेश
ध्वनि प्रदूषण कानून का उल्लंघन करने वालों पर प्राथमिकी दर्ज हो।
त्योहारों से पहले अधिकारी बैठक कर ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाना सुनिश्चित करें।
कानून का पालन कराने की जिम्मेदारी संबंधित थानाध्यक्षों की होगी।
शहरी क्षेत्रों को औद्योगिक, व्यावसायिक और रिहायशी में श्रेणीबद्ध किया जाए।
शिकायत सुनने के लिए एक अधिकारी नियुक्त किया जाए।
ऐसे अधिकारी का फोन नंबर और अन्य ब्यौरा सार्वजनिक स्थानों पर प्रदर्शित करें।
शिकायत के लिए टोल फ्री नंबर जारी करें।
शिकायतें एक रजिस्टर पर दर्ज हों और उन पर कार्रवाई की जाए।
शिकायत मिलने पर पुलिस तत्काल कार्रवाई करे और शोर बंद कराए।
शिकायतकर्ता का नाम गोपनीय रखा जाए, अनाम शिकायतें भी दर्ज हों।
एसएमएस, व्हाट्सएप, ई-मेल से भी शिकायतें दर्ज हो।
कार्रवाई न होने पर जनता का कोई भी आदमी अवमानना याचिका दाखिल कर सकता है।
किसी भी धर्म, समुदाय के कार्यक्रम में डीजे बजाने से लोगों को परेशानी होती है। इसके लिए जो मानक तय हैं, उनका पालन किया जाना चाहिए। हम लोगों का त्योहार के समय नींद भर सो नहीं पाते हैं।
सबसे ज्यादा परेशानी प्रतिमा विसर्जन के दौरान होती है। प्रतिमाओं को लेकर राजघाट की ओर जाने वाले लोग तेज आवाज में डीजे बजाते हैं। इस पर रोक लगनी चाहिए।
ध्यानचंद कश्यप,सुभाष नगर
हाईकोर्ट ने डीजे बजाने के संबंध में गाइडलाइन तय की है, लेकिन अधिकारियों की ओर से इसकी अनुमति दे दी जाती है। हम लोग जब मना करते हैं तो डीजे बजाने वाले मारपीट पर उतारू हो जाते हैं।
रात में डीजे पर फूहड़ गाने बजाए जाते हैं। इससे लोगों को शर्मसार होना पड़ता है। प्रतिमा विसर्जन के दौरान रातभर समस्या रहती है। बच्चे सो नहीं पाते हैं। इस पर रोक लगाना जरूरी है।