विश्वजीत राय
सफल समाचार
पडरौना। विवेचना में आरोपियों को लाभ पहुंचाने के लिए सचिव से मिलकर फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाना विवेचक (दरोगा) को महंगा पड़ गया। पुलिस ने दरोगा, सेक्रेटरी समेत चार लोगों पर केस दर्ज किया है। फर्जी बैनामा कराकर 10 करोड़ की जमीन और मकान हड़पने वालों पर दर्ज केस की विवचेना में दरोगा ने मनमानी की थी। इस कार्रवाई के बाद दरोगा की कार्यशैली पर सवाल खड़ा हो गया है।
हाटा तहसील क्षेत्र के अहिरौली निवासी रामनरेश यादव लखनऊ हाईकोर्ट में अधिवक्ता हैं। गांव पर उनके पिता खदेरू रहते थे। उनके साथ अधिवक्ता का रिश्तेदार अमरजीत भी रहता था। वर्ष 2008 में खदेरू की मौत हो गई। अधिवक्ता ने सचिव से मृत्यु प्रमाणपत्र भी जारी करा लिया था। खदेरू की मौत के बाद अमरजीत ने फर्जी अभिलेख तैयार कर वर्ष 2012 में ललती, रीना, उमाशंकर के नाम जमीन खदेरू से बैनामा करा दिया था।
करीब दस करोड़ की जमीन और मकान कागजों में हेराफेरी कर बैनामा होने की जानकारी जब अधिवक्ता को हुई तो फर्जीवाड़ा कर मकान हड़पने वाली रीना, ललती, उमाशंकर और अमरजीत पर केस दर्ज कराया है।
वहीं दूसरा तरफ रामनरेश ने खेत की जमीन हड़पने वाले 11 लोगों पर केस दर्ज कराया। इसकी विवेचना अहिरौली बाजार थाने पर तैनात दरोगा राहुल राय को मिली। अधिवक्ता ने सचिव की ओर से जारी किए गए मृत्यु प्रमाणपत्र और परिवार रजिस्टर की छाया प्रति विवेचक को उपलब्ध कराई।
अधिवक्ता और उनकी पत्नी का विवेचक ने बयान भी दर्ज किया, लेकिन आरोपियों को बचाने के लिए सचिव रवि यादव से मिलकर विवेचक ने बैनामे के बाद का दूसरा मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाकर विवेचना में शामिल कर लिया। इसकी शिकायत अधिवक्ता ने एसपी धवल जायसवाल से मिलकर भी की।
इसके बाद एसपी ने दरोगा राहुल राय को तलब कर विवेचना में निष्पक्षता बरतने की हिदायत दी। इसके बावजूद दरोगा अपनी मनमानी से बाज नहीं आया। इसकी जानकारी होने पर अधिवक्ता ने न्यायालय की शरण ली। कोर्ट के आदेश पर दरोगा राहुल राय, सचिव रवि यादव, अमरजीत यादव और उमाशंकर पर धोखाधड़ी, अभिलेखों में हेराफेरी करने समेत कई गंभीर धाराओं में अहिरौली पुलिस ने केस दर्ज किया है।
अहिरौली बाजार थाने के एसओ श्रीप्रकाश राय ने बताया कि केस दर्ज कर विवेचना की जा रही है।
दो माह से टरका रही थी पुलिस
अधिवक्ता रामनरेश यादव ने बताया कि दो माह पूर्व कोर्ट ने दरोगा, सचिव और फर्जीवाड़ा कर जमीन हड़पने वाले उमाशंकर, अमरजीत पर केस दर्ज करने का आदेश किया था। लेकिन अहिरौली बाजार थाने की पुलिस कोर्ट के आदेश के बाद भी केस दर्ज नहीं कर रही थी। कोर्ट में दोबारा प्रार्थना पत्र देने के बाद पुलिस ने केस दर्ज किया। इसकी वजह से आरोपियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से आनन-फानन में दरोगा ने कूटरचित अभिलेखों की मदद से अपनी विवेचना पूरा कर ली।