देवरिया: राम कहने के लिए मुंह खुला और जबड़ा चीरकर निकल गई गोली अयोध्या में महेशपुर गांव के महेश मणि को लगी थी गोली- वर्ष 1990 में गोली खाने के बाद 1992 में विवादित ढांचा गिराने में रहे सबसे आगे

उत्तर प्रदेश कुशीनगर

अनुग्रह परासर

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देवरिया: राम कहने के लिए मुंह खुला और जबड़ा चीरकर निकल गई गोली

अयोध्या में महेशपुर गांव के महेश मणि को लगी थी गोली- वर्ष 1990 में गोली खाने के बाद 1992 में विवादित ढांचा गिराने में रहे सबसे आगे

रुद्रपुर। श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के दौरान अयोध्या में कारसेवकों पर बरसी गोलियों का निशान लेकर रुद्रपुर के महेश मणि आज जी घूम रहे हैं।

सुरक्षा बलों की राइफल से निकली गोली का चिह्न उनके बाएं गाल पर आज भी दिख रहा है। अयोध्या में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर वह बहुत उत्साहित हैं। वहां जाने का बुलावा तो नहीं आया है, लेकिन 22 जनवरी को अयोध्या जाना चाहते हैं।

महेशपुर गांव के रहने वाले महेश मणि ने कहा कि राम जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए हजारों कारसेवकों ने कुर्बानी दी है। मैं जिंदा हूं तो सिर्फ राम के नाम का प्रताप है। बात दो नवंबर, 1990 की है। पूरे प्रदेश में नाकाबंदी के बाद भी अयोध्या में लाखों कारसेवकों का हुजूम जुटा था। हम लोग वेष बदलकर पैदल अयोध्या पहुंचे थे। उन्होंने तत्कालीन प्रदेश सरकार ने जन्मभूमि की ओर बढ़ रहे कार सेवकों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया था। उमा भारती भी वेष बदलकर नाटकीय ढंग से अयोध्या पहुंच गईं। हुनमान गढ़ी के आगे उमा भारती के साथ चल रहे कार सेवकों के जत्थे को रोक लिया गया। उन्हें गिरफ्तार कर घसीटते हुए पुलिस ले गई।

गिरफ्तारी से आक्रोशित कारसेवक जय श्रीराम का जयघोष करते हुए जन्मभूमि की ओर बढ़ने लगे। कारसेवकों पर एसएलआर की गोलियां बरसने लगीं। अंधाधुंध गोली चलने से कारसेवक गिरने लगे। हम लोग गोली से घायल कारसेवकों को उठाकर ले जा रहे थे। इसी दौरान उड़ीसा का एक कारसेवक

गोली लगने से गिर गया। मैं उसे जय श्रीराम बोलकर उठा रहा था कि जैसे मुंह से रा शब्द निकला एसएलआर की एक गोली मेरे बाएं जबड़े को चीड़ते हुए ऊपर के दांत को तोड़कर बाहर निकल गई। मैं बेहोश होकर गिर गया। अगली सुबह खुद को फैजाबाद के श्रीराम अस्पताल में पाया।

प्रभुराम की कृपा से मेरी जान तो बच गई, लेकिन मेरे सामने सैकड़ों कार सेवक मारे गए। उनमें कोठारी बंधु भी थे। वर्ष 1992 में कल्याण सिंह की सरकार में दोबारा अयोध्या पहुंचकर कलंक के ढांचे को गिराने के लिए मैं पहला कारसेवक था, जो बाड़ तोड़कर गुंबद पर चढ़ गया। अब भव्य राममंदिर का सपना साकार हो रहा है। हम लोगों ने रामलला के भव्य मंदिर की परिक्रमा की प्रतिज्ञा की है। अब रामलला का दर्शन और परिक्रमा पूरी हो जाए तो यह जीवन धन्य हो जाएगा।

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