Gender Dysphoria क्या ? क्यों ? और समाधान जानें मनोवैज्ञानिक डॉ श्वेता जॉन्सन से

उत्तर प्रदेश गोरखपुर

 

आप सबके मन में यह सवाल जरूर आएगा कि आखिर जेंडर डिस्फोरिया क्या है और इसकी पहचान कैसे की जा सकती है। तो आइए जानें मनोवैज्ञानिक डॉ श्वेता जॉन्सन से Gender Dysphoria क्या ? क्यों ? और समाधान

Gender dysphoria एक ऐसा डिसऑर्डर है जिसमें व्यक्ति अपने प्राकृतिक जेंडर को सही तरीक़े से महसूस नहीं कर पाता है तथा ख़ुद को दूसरी सेक्शुअल आइडेंटिटी में रखना चाहता है

आज कल यह देखा जा रहा है कि लड़के लड़कियों की तरह तथा लड़कियाँ लड़कों की तरह व्यवहार करना पसंद कर रहे हैं तथा वे विपरीत जेंडर के कपड़े पहनने में ख़ुद को सहज महसूस कर रहे हैं ।
इसमें लड़के क्रॉस ड्रेसिंग या महिला पोशाक /वेश भूषा की नक़ल करने की तीव्र प्राथमिकता रखते हैं तथा लड़कियाँ विशिष्ट मर्दाना कपड़े पहनने के लिए मज़बूत प्रतिरोध करती है ।

इस विसंगति में मानसिक के साथ साथ शारीरिक बदलाव भी देखे जाते हैं Gender dysphoria से पीड़ित व्यक्ति ख़ुद के साथ भेदभाव होता हुआ महसूस करता है इसमें निजी रिश्तों पर भी इसका गंभीर असर होता है ऐसे व्यक्ति आमतौर पर चिंता डिप्रेशन तथा चिड़चिड़ेपन के भी शिकार होते हैं ।इस विसंगति का वर्णन डीएसएम/DSM5 TR में भी दिया गया है यह नैदानिक रूप से एक महत्वपूर्ण संकट है ।

ऐसी अवस्था में व्यक्ति का मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए तथा झाड़ फूँक तंत्र मंत्र ओझा सोखा इत्यादि का भी सहारा नहीं लेना चाहिए ।ऐसे लक्षण पाए जाने पर मनोचिकित्सक से तुरंत मिलना उचित होता है।

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