1.20 लाख लोगों ने रुपये वापसी की लगाई गुहार, रुपये वापसी के आवेदन के लिए कलक्ट्रेट में काउंटर पर लोगों की लगी भीड़

उत्तर प्रदेश देवरिया

सफल समाचार 
शेर मोहम्मद 

देवरिया। जिले के लोगों की मेहनत का पचास करोड़ रुपये का भुगतान विभिन्न बैंकिंग कंपनियां दबाएं हुई हैं। गाढ़ी कमाई और डूबी पूंजी पाने के लिए एक माह के भीतर करीब 1.20 लाख लोगों ने रुपये वापसी के लिए आवेदन किया है। कलक्ट्रेट में खोले गए काउंटर पर आवेदन के लिए लोगों की भीड़ जुट रही है। आवेदन पत्र जमा करने के लिए जमकर धक्का-मुक्की भी हो रही है। इसमें शहर के भी कई ऐसे बड़े लोग हैं, जो करोड़ों रुपये बैंकिंग कंपनियों में डाल रखे हैं।
दो से तीन दशक के बीच में जिले में कई बैकिंग कंपनियां खुली और एक के बाद एक बंद होती भी गई। कई की हालत पतली हो गई और लोगों का रुपये फंसता गया। लोग रुपये पाने के लिए भटक रहे हैं। इस समस्या के समाधान के लिए कलक्ट्रेट परिसर में पांच जून से लोगों के आवेदन सहित अन्य कागजात जमा हो रहे हैं। इसके लिए एडीएम वित्त एवं राजस्व को नोडल अधिकारी बनाया गया है। यहां सप्ताह में तीन दिन आवेदन जमा हो रहे हैं। कार्यालय के सूत्रों की बातों पर गौर किया जाए तो अभी तक 1.20 लाख आवेदन जमा हो चुके हैं। इन आवेदनों को संस्थागत वित्त, बीमा एवं वाह्य सहायतित परियोजना महानिदेशालय उत्तर प्रदेश के वेबसाइट पर अपलोड किया जा रहा है। अभी आए आवेदनों में पचास हजार आवेदन अपलोड भी किए जा चुके हैं। जिवा निवासी आवेदकों की रकम पचास करोड़ रुपये अधिक कर्मचारी विभाग के बता रहे हैं। बुधवार को भी करीब दस हजार आवेदकों ने रुपये वापसी के लिए आवेदन किया है। अब देखना है कि इन लोगों के रुपये कब वापस होते है। यह जानकारी आवेदकों को भी नहीं दी जा रही है। इस कारण केवल फाॅर्म जमा कर लोग वापस चले जा रहे हैं।

कागजों की गठरी में लिपटे हैं रुपये जाम करने वालों के अरमान, किसी को बेटी तो किसी को बनवाना था मकान
संवाद न्यूज एजेंसी

देवरिया। कलक्ट्रेट में घुसते ही पहले कमरे में नजर आएंगे कागजों की गठरी और धक्का- मुक्की करते लाइन में लगे लोग। अगर एक बज गया तो डांट फटकार सुनाते कर्मचारी मिले जाएंगे। इतना नहीं सड़क किनारे बाइक, पेड़ के नीचे फाॅर्म भी भरते लोग नजर आएंगे। इन्हें देखकर एक सवाल जरूर होगा कि आखिर इतनी संख्या में किसके लिए आवेदन करने को भीड़ जुटी हुई है और फार्मों का कमरे में ढेर लगा है। जबकि सच यह है कि यह कागजों की गठरी नहीं कइयों के अरमान इसमें छिपे हुए हैं।

काफी समय पहले जिले में विश्वामित्र, पर्ल, एग्रोटेक सहित कई बैकिंग कंपनियों के लुभावने वाद किया और निवेश लोगों ने कर दिया। कम समय राष्ट्रीकृत बैंकों से अधिक धन देने की स्कीम के लोग दीवाने हो गए। इस कारण गाढ़ी कमाई जमाकर अब फंस चुके हैं। दुर्योधन यादव, तपेश्वर ने बताया कि लड़की की शादी के लिए रुपये जमा किए थे, लेकिन अब रुपये भी डूब गया और कर्ज लेना पड़ेगा। विपिन, विजयी शर्मा, हंसराज, संजीव ने बताया कि सुबह से बिना खाए पीए आए हैं। भीड़ में धक्के खाने पड़ रहे हैं।

पाई-पाई जोड़कर करीब दस हजार रुपये जमा की। कहा गया कि एक लाख रुपये मिलेगा। जिससे लगा कि एकमुश्त धन मिलेगा, जिससे वह कोई काम कर सकेंगी, लेकिन उनके मंसूबे पर पानी फिर गया।
अनीता देवी, केवटलिया

तीन लाख रुपये जमा की थी, ताकि मकान बनवा सकें, लेकिन रुपये भी फंस गया और जमा पूंजी भी चली गई। फार्म तो जमा कर दिया, लेकिन पैसा कब मिलेगा, इसका पता नहीं है।
लक्ष्मीना देवी, तिवारीपुर

रुपये वापसी के नाम पर दलाल सक्रिय
बैंकिंग कंपनियों में फंसे रुपये दिलाने के नाम पर दलाल भी सक्रिय हो गए हैं। गांव-गांव घूम कर फाॅर्म भरवा रहे हैं और लोगों से सौ-दो सौ रुपये ऐंठ रहे हैं। इस कारण लोगों को चपत भी लग रहे हैं।

कोट:
सभी से आवेदन भरवाया जा रहा है। इसके बाद ऑनलाइन किया जा रहा है। शासन प्रयास कर रहा है कि लोगों के रुपये जल्द से जल्द वापस हो जाएं।
नागेंद्र कुमार सिंह, एडीएम वित्त एवं राजस्व

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