शहीद अंशुमान की अंतिम विदाई :- पत्नी इंजीनियर सृष्टि सिंह ने शहीद पति अंशुमान के माथे को चूमते हुए कहा कि मेरे सोना, मेरे हीरो आपकी शहादत पर मुझे गर्व है

उत्तर प्रदेश गोरखपुर

सफल समाचार 
सुनता राय  

भाई का पार्थिव शरीर जब सेना के वाहन से भागलपुर के लिए रवाना हुआ तो बरामदे में खड़ी छोटी बहन तान्या सिंह मम्मी मंजू देवी को पकड़ चीखने लगी। रोते हुए भाई के पार्थिव शरीर के साथ जाने की जिद्द करने लगी। उन्हें सेना के जवानों ने संभाला। कहा बहन रो मत भाई के बलिदान पर गर्व करो।

गार्ड ऑफ ऑनर के बाद पार्थिव शरीर के पास पहुंची पत्नी इंजीनियर सृष्टि सिंह ने शहीद पति अंशुमान के माथे को चूमते हुए कहा कि मेरे सोना, मेरे हीरो आपकी शहादत पर मुझे गर्व है, आपको दिल से सैल्यूट। आप ने मां भारती की रक्षा की है। इसके बाद फफक पड़ी। यह देख किसी तरह शहीद की मां मंजू देवी ने उन्हें संभालते हुए ढांढस बंधाया। इस पर लोग भारत माता की जय के नारे लगाने लगे।

शुक्रवार दोपहर 1.15 मिनट पर एयरफोर्स के स्पेशल विमान से शहीद अंशुमान सिंह का पार्थिव शरीर गोरखपुर पहुंचा, जहां सैनिक सम्मान के बाद सेना के वाहन से देवरिया के रास्ते पैतृक गांव बरडीहा दलपत पहुंचा। यहां पहुंचते ही परिजनों में चीख-पुकार मच गई। यह देख मौजूद प्रशासन के लोग, जनप्रतिनिधि सहित मौजूद लोग परिजनों का ढांढस बंधाने लगे। इसी बीच पार्थिव शरीर को घर के सामने फूलों से सजे स्थान पर श्रद्धांजलि के लिए रखा गया। इसके बाद सियाचिन से पहुंचे सेना के अधिकारियों व अन्य जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।

इसके बाद शहीद की पत्नी सृष्टि सिंह ने सबसे पहले सैल्यूट किया। आपने भारत माता के जांबाज वीर जवानों को अपनी जान की बाजी लगा भीषण आग की घटना से बचाया। आपने अदम्य साहस का परिचय दिया है। आप को जमाना युगों युगों तक याद रखेगा। श्रद्धांजलि देने वालों में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही, राज्य मंत्री विजय लक्ष्मी गौतम, सांसद रवींद्र कुशवाहा, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ले. जन. आरपी शाही, जिलाधिकारी अखंड प्रताप सिंह, एसपी संकल्प शर्मा, प्रशासन व ने बारी-बारी से अपने वीर सपूत को श्रद्धांजलि दी। जबकि सेना के अधिकारियों व जवानों ने भी पुष्प चक्र चढ़ा शहीद को सलामी दी। इसके बाद पार्थिव शरीर गांव से भागलपुर काली चरण घाट पहुंचा।

पिता ने कांपते हाथों से दी शहीद बेटे को मुखाग्नि

 

भागलपुर के काली चरण घाट पर पिता रवि प्रताप सिंह ने कांपते हाथों से शहीद बेटे को मुखाग्नि दी। मन में शहादत पर गर्व तो था, लेकिन होनहार बेटा के जाने का गम भी था। रोते हुए उन्होंने हमेशा के लिए अपने बेटे को जुदा किया। यह दृश्य देख सभी लोगों की आंखें नम हो गईं।

 

पति के साथ गांव आने की इच्छा रह गई अधूरी

 

दस फरवरी को पठान कोट के होशियारपुर की रहने वाली इंजीनियर सृष्टि सिंह से कैप्टन अंशुमान सिंह की शादी पठान कोट में हुई थी। दूरी अधिक होने की वजह से यहीं करना पड़ा। शादी संपन्न होने के बाद से ही पत्नी सृष्टि पति अंशुमान के साथ अपने पैतृक ससुराल आने को लेकर उत्सुक थी। उन्होंने कई बार गांव चलने को भी कहा। इस पर अंशुमान छुट्टी मिलने पर चलने को कहते थे।

इसी बीच उनकी तैनाती जून माह में सियाचिन ग्लेशियर पर हो गई। यहां ज्वाइन करने के बाद मुस्तैदी से ड्यूटी में जुट गए। इसी बीच बुधवार की सुबह फाइबर ग्लास बंकर में आग लग गई। इसकी सूचना पर वह पास के टेंटों में अंदर फंसे अन्य जवानों को बचाने के लिए अदम्य साहस का परिचय देते हुए अंदर घुस गए। उन्होंने कई जवानों को बाहर निकाल उनकी जान बचाई। इसी बीच वह शहीद हो गए। इस की सूचना परिजनों को मिली तो वह बदहवास हो गए। उधर पति के साथ गांव आने की इच्छा पत्नी सृष्टि की धरी की धरी रह गई।

 

शहीद पोते का शव आने से पहले बदहवास हुई दादी

अंशुमान सिंह दादी शांति देवी से बहुत प्रेम करते थे। वह अक्सर जब भी समय मिलता था उनका कुशल क्षेम जानते थे। जब उनका पार्थिव शरीर दोपहर बाद दरवाजे पर पहुंचने वाला था इसके पहले रोते रोते बदहवास हो गई। पास में खड़ी महिलाओं ने पानी के छींटे मारी। इसके बाद वह होश में आई। इसके बाद बोली की अंशुमान जब भी आवत रहने हं त बड़ी हंस के बतीयावत रहने हं। उनकर खरीदल साड़ी हम खूब श्रद्धा से पहिरेनी। आज पता ना का हो गईल बा लउकत नइखे बाबू यह देख मौजूद सभी की आंखें डबडबा गईं।

 

रो मत पगली पोते की शहादत पर गर्व है

दादी शांति देवी को रोता देख दादा सत्यनारायण सिंह भावुक हो गए। इसके बाद पास पहुंच बोले चुप रहो रोओ मत। तुम्हार पोता जांबाज था। वह शहीद हुआ है। शहीद होने पर आंसू नहीं बहाया जाता है।पोते की शहादत पर गर्व है। मां मंजू देवी, बहन तान्या, भाई घनश्याम सिंह, चाचा हरिप्रताप सिंह, सूर्य प्रताप सिंह, भानू प्रताप सिंह का रो-रोकर बुरा हाल था।

 

बहू के गांव आगमन पर बहुभोज करने का सपना रह गया अधूरा

शादी के बाद से सृष्टि कभी अपने पैतृक ससुराल बरडीहा दलपत नहीं आई थी।परिवार के लोगों की इच्छा थी की सियाचिन की ड्यूटी अंशुमान की खत्म हो तो बहु को गांव बुलाया जाए। क्यों की शादी पंजाब पठान कोट से होने की वजह से गांव के सभी लोग शरिक नहीं हो पाए थे। इसके चलते बहु के गांव आगमन पर बहु भोज करना था। पर क्या पता की अंशुमान देश की रक्षा में शहीद हो जाएंगे।

 

ईश्वर ने सब कुछ दिया है कुछ नहीं चाहिए

अंशुमान के पिता रिटायर्ड सूबेदार मेजर रवि प्रताप सिंह ने कहा कि बेटे ने जो देश की खातिर कुर्बानी दी है, इससे बड़ी बात क्या होगी। मुझे बेटे की बहादुरी पर फक्र है। ईश्वर ने मुझे सब कुछ दिया है।

मम्मी मैं भी भैया के साथ जाऊंगी
भाई का पार्थिव शरीर जब सेना के वाहन से भागलपुर के लिए रवाना हुआ तो बरामदे में खड़ी छोटी बहन तान्या सिंह मम्मी मंजू देवी को पकड़ चीखने लगी। रोते हुए भाई के पार्थिव शरीर के साथ जाने की जिद्द करने लगी। उन्हें सेना के जवानों ने संभाला। कहा बहन रो मत भाई के बलिदान पर गर्व करो।

शहीद अंशुमान के पिता के बैंक खाते में 15 लाख और पत्नी के खाते में 35 लाख रुपये की धनराशि सरकार ने भेजी है। इसकी जानकारी जिलाधिकारी अखंड प्रताप सिंह ने दी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *