ओबरा नगर के भारतीय मजदूर संगठन कार्यालय पर धूमधाम से मनाया गया 68वां “भारतीय मजदूर संघ स्थापना दिवस”

उत्तर प्रदेश सोनभद्र

सफल समाचार गणेश कुमार 

ओबरा-दिनांक 23/07/2023 दिन रविवार को ओबरा नगर के भारतीय मजदूर संगठन(बीएमएस) कार्यालय के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं द्वारा धूमधाम से 68वां भारतीय मजदूर संघ का स्थापना दिवस मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संघ के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष श्री धुरंधर शर्मा ने कार्यालय पर ध्वजारोहण किया। इस दौरान पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष श्री धुरंधर शर्मा ने कहा कि 23 जुलाई 1955 को प्रसिद्ध श्रमिक नेता स्वर्गीय दत्तोपंत ठेंगड़ी के नेतृत्व में संघ की नींव रखी गई थी।संगठन से जुड़े सभी नेता इसे शून्य से शिखर तक का सफर मानते हैं। कहा कि यह उपलब्धि संघ के एक-एक समर्पित निष्ठावान कार्यकर्ताओं के निस्वार्थ भाव से काम करने का फल है।भारतीय मजदूर संघ की स्थापना शून्य से सृष्टि रचना का संकल्प था । इसकी स्थापना का उद्देश्य था मजदूर क्षेत्र में एक ऐसे श्रमिक संगठन का गठन करना जो ‘ मजदूरों का , मजदूरों द्वारा मजदूरों के लिए ‘ सिद्धान्त पर राष्ट्रहित , उद्योगहित व मजदूरहित के लिए कार्य करे । हर प्रकार के बाहरी प्रभाव जैसे नियोजकों का प्रभाव , सरकार और राजनीतिक दलों का प्रभाव , व्यक्तिगत नेतागिरी व विदेशी विचारधारा के प्रभाव से मुक्त होकर राष्ट्रहित के अन्तर्गत स्वतन्त्र स्वायत्तरूप से संगठनात्मक तथा आन्दोलनात्मक गतिविधियों का संचालन करे।

भारतीय संस्कृति एवं परम्पराओं तथा भारतीय अर्थ चिंतन भारतीय अर्थव्यवस्थाओं का आधार लेकर चले । भा.म.संघ ‘ वर्ग संघर्ष ‘ जैसे साम्यवादी विचार को नहीं मानता । उसका मानना है कि सभी भारत माता के सपूत और सन्तानें हैं । वर्ग संघर्ष नहीं , अपितु अन्याय , शोषण , आर्थिक व सामाजिक विषमता के विरुद्ध संघर्ष इसे मान्य है । यह संघर्षवादी अथवा समन्वयवादी न होकर संघर्षक्षम व समन्वयक्षम है । जहाँ संघर्ष की आवश्यकता होगी ।वहाँ संघर्ष और जहाँ समन्वय की आवश्यकता होगी वहाँ समन्वय करेगा नियोजक और सरकार यदि विरोध करे तो यह भी विरोध करेगा और अगर वे सहयोग करें तो यह भी सहयोग करेगा । भा.म. संघ ने इसे ‘ प्रत्युत्तरीय सहयोग ‘ ( रिस्पांसिव कोआपरेशन ) का नाम दिया और नियोजकों व सरकार को इसे अपनाने का आवाहन किया । ‘ राष्ट्र का औद्योगिकीकरण , उद्योगों का श्रमिकीकरण तथा श्रमिकों का राष्ट्रीयकरण ‘ – इन तीन सूत्रों में भारतीय मजदूर संघ ने अपने उद्देश्य को स्पष्ट किया है । ‘ धन की पूँजी , श्रम का मान , कीमत दोनों एक समान ‘ , ‘ देश के हित में करेंगे काम , काम के लेंगे पूरे दाम ‘ , ‘ बी.एम.एस. की क्या पहचान- त्याग , तपस्या और बलिदान ‘ तथा कम्युनिस्टों के ‘ दुनिया के मजदूरों एक हो जाओ ‘ के स्थान पर भारतीय मजदूर संघ ने नारा दिया- ‘ मजदूरों दुनिया को एक करो ‘ तथा कम्युनिस्टों के ‘ इन्कलाब ‘ और ‘ लाल सलाम ‘ के स्थान पर भारतीय मजदूर संघ ने ‘ भारत माता की जय ‘ व ‘ वन्देमातरम् ‘ के उद्घोष दिए जिनसे मजदूर क्षेत्र पूर्णतया अपरिचित था । भा.म.संघ ने लाल के स्थान पर भगवा ध्वज को अपना स्फूर्ति केन्द्र माना और हँसिया हथौड़े के स्थान पर मानवीय अँगूठे व उद्योग चक्र को अपना प्रतीक चिन्ह बनाया । साम्यवादियों के ‘ मई दिवस ‘ के स्थान पर ‘ विश्वकर्मा जयन्ती ‘ ( 17 सितम्बर ) को श्रमिकों का राष्ट्रीयश्रम दिवस घोषित किया गया । इस प्रकार धीरे – धीरे आगे बढ़ते हुए भारतीय मजदूर संघ ने साम्यवादियों के लाल किले पर लाल निशान के मन्सबों को धराशायी कर दिया । जब 1955 में श्री दत्तोपंत ठेंगड़ी द्वारा भा.म.संघ की स्थापना की गई तब विश्व तथा भारत में भी साम्यवाद अपने चरम पर था । दूसरी ओर भारतीय मजदूर संघ का निर्माण शून्य से हुआ , तब भा.म.संघ के पास न कोई यूनियन , न कोष , न कार्यालय और न ही कोई कार्यकर्ता था और विरोधी संगठनों , सरकार , नियोजकों व सत्ता प्रतिष्ठानों द्वारा इस नवोदित संगठन को प्रारंभ में ही कुचल देने की कुचेष्टा थी । इन सब के बावजूद पैंतीस वर्ष की सफल सतत संगठन यात्रा के पश्चात् भा.म.संघ देश में कार्यरत सभी विरोधी संगठनों को पछाड़ते हुए प्रथम स्थान पर सबसे बड़ा केन्द्रीय श्रमिक संगठन बन गया । यह मा . ठेंगड़ी जी के कुशल , कर्मठ और चमत्कारिक नेतृत्त्व का ही परिणाम था । स्थापना के समय जिसकी सदस्यता शून्य थी आज 2021 में तीन करोड़ से अधिक सदस्यता के साथ यह संगठन भारत ही नहीं अपितु चीन के सरकारी श्रमिक संगठन को छोड़कर विश्व का सबसे बड़ा स्वायत्त स्वतन्त्र श्रमिक संघ है।इस मौके पर श्रीकान्त गुप्ता, दीपू गोपीनाथन, गौरीशंकर,राम प्रसाद, मनोज वर्मा, ए एन राय व अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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