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शेर मोहम्मद
देवरिया। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों का मोहभंग होने लगा है। तीन साल के आंकड़ों पर गौर करें तो 10 हजार से अधिक बीमा धारक घटे हैं। किसानों का कहना है कि बीमा कंपनी बस प्रीमियम जमा कराती है। फसल क्षतिपूर्ति देने के समय आनाकानी करने लगती है।
जिले में करीब पांच लाख 10 हजार किसान हैं। खरीफ वर्ष 2020 में 39113 किसानों ने फसल बीमा कराया था। इसके बाद से साल दर साल फसल बीमा धारक किसानों की संख्या घटती जा रही है। इस साल कई बार डेट बढ़ने के बाद भी 29935 किसानों ने ही फसल बीमा कराया है। धुसवा के किसान गौरव दुबे ने बताया कि तीन साल के दौरान बारिश और सूखे की चपेट में आने से फसल का नुकसान हुआ। दावा करने के बाद भी क्षतिपूर्ति नहीं मिली। कुछ किसानों का कहना है कि अधिकारी नियमों में उलझाकर फसल क्षतिपूर्ति से वंचित कर देते हैं, जिसके कारण किसानों ने फसल बीमा कराना छोड़ दिया है।
प्रीमियम न काटने के लिए बैंकों दे रहे आवेदन
एलडीएम अरुणेश कुमार ने बताया कि जिन किसानों का किसान क्रेडिट कार्ड बना है उनके फसल बीमा का प्रीमियम स्वत: बैंक खाते से कट जाता है। तीन साल पहले फसल बीमा की यह व्यवस्था अनिवार्य थी। अब इसे स्वैच्छिक कर दिया गया है। पांच हजार से अधिक ऋणी कृषकों ने बैंकों में आवेदन देकर प्रीमियम कटौती पर रोक लगवाया है।
फसल बीमा तीन साल में
वर्ष – किसान
2020 – 39113
2021 – 37748
2022 – 32879
2023 – 29935
नोट ये आंकड़े खरीफ फसलों के हैं।
तीन साल में बीमा कंपनी ने कमाए चार करोड़
जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया को नामित किया गया है। इस कंपनी को खरीफ और रबी फसल मिलाकर वर्ष 2020 से रबी वर्ष 2022-23 तक 130987851 रुपये बीमा प्रीमियम प्राप्त हुआ है। इसके मुकाबले कंपनी ने 92336632 रुपये क्षतिपूर्ति दी है। 207286 किसानों ने प्रीमियम भरा है। जबकि 25815 किसानों को क्षतिपूर्ति मिली है।
बोले किसान:
मैं किसान क्रेडिट कार्ड धारक हूं। हर साल तीन से चार हजार रुपये मेरे खाते से फसल बीमा प्रीमियम के तौर पर काट लिया जाता था। फसल की नुकसान होने व सूचना देने के बाद भी क्षतिपूर्ति नहीं मिलती थी। इसके चलते मुझे बैंक में आवेदन देकर प्रीमियम की कटौती पर रोक लगवाना पड़ा।
– प्रमोद सिंह, किसान डीहाबसंत।
फसल बीमा योजना अच्छी है मगर इसका लाभ किसानों को नहीं मिल पाता है। ज्यादातर किसानों को नियमों में उलझाकर क्षतिपूर्ति से वंचित कर दिया जाता है। सरकार योजना में क्षतिपूर्ति की प्रक्रिया को और सरल बनाए।
– करुणेश कुमार राय, किसान सखनी।
पहले ऋणी किसानों के लिए फसल बीमा की प्रक्रिया अनिवार्य थी। उनके खाते से प्रीमियम की धनराशि स्वत: कटौती हो जाती थी। अब इसे स्वैच्छिक कर दिया गया है। जिन किसानों को लाभ समझ नहीं आ रहा वह बैंक में आवेदन देकर बीमा के लाभ से खुद को वंचित कर रहे हैं। फसल बीमा योजना किसानों के हित में है। इसका लाभ सभी को लेना चाहिए।
– मृत्युंजय कुमार सिंह, जिला कृषि अधिकारी।