जमीन विवाद का निस्तारण कराना बहुत मुश्किल है। पांच साल से अधिक समय से वादकारी अपने मुकदमों के लिए तहसीलों का चक्कर काट रहे हैं

उत्तर प्रदेश कुशीनगर

सफल समाचार 
विश्वजीत राय 

जल्द निपटारे की उम्मीद नहीं, मुकदमों के बोझ से हांफ रहीं राजस्व अदालतें, 52 हजार से ज्यादा मामले हैं विचाराधीन

वादकारियों को हर रोज लगाना पड़ता है चक्कर, निस्तारण की आस में गुजर रहा वक्त

कुशीनगर। जमीन विवाद का निस्तारण कराना बहुत मुश्किल है। पांच साल से अधिक समय से वादकारी अपने मुकदमों के लिए तहसीलों का चक्कर काट रहे हैं। वे अपने मुकदमों की सुनवाई के लिए संबंधित न्यायालयों में पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें मिल रही है सिर्फ तारीख पर तारीख। कई लोगाें की तो आधी उम्र गुजर चुकी है, लेकिन मुकदमे जस के तस पड़े हैं। कुशीनगर जनपद में नायब तहसीलदार से लगायत डीएम न्यायालय तक 52 हजार से अधिक मुकदमे लंबित हैं, जो वादकारियों की समस्या जाहिर करने के लिए काफी है।
पड़री गांव की सैरुन निशा के घरवालों ने अपनी मां के नाम जमीन खरीदी थी। बड़ी आरजू थी कि सब मिलकर उस जमीन में खेती करेंगे, लेकिन उस जमीन पर दाखिल खारिज ही नहीं हो सका है। नतीजा यह है कि उस कब्जा भी नहीं मिल पा रहा है, जिससे उस जमीन पर खेती करने का अरमान धरा का धरा रह गया है। ऐसे ही जमीन के बंटवारे को लेकर तरयासुजान के चंद्रलाल भी मुकदमा लड़ रहे हैं। बताते हैं कि तहसील में दौड़ते-दौड़ते थक जा रहे हैं।

52,253 मामले अदालत में विचाराधीन

कुशीनगर। जिले की राजस्व अदालतों में मुकदमों का बोझ काफी बढ़ गया है। वादकारियों को तारीख पर तारीख मिल रही है। तहसीलों का चक्कर लगाकर वादकारी थक चुके हैं। एसडीएम व तहसीलदार का तो अधिकतर समय सामान्य शिकायतों को निस्तारित करने में गुजर जाता है, इससे न्यायिक प्रकिया में उलझे मुकदमों की सुनवाई के लिए समय कम मिल पाता है। जिले की सभी छह तहसीलों में 52 हजार से भी ज्यादा मुकदमे लंबित हैं।

जानकारी के अनुसार, पडरौना, कसया, हाटा, तमकुहीराज, कप्तानगंज और खड्डा तहसीलों में राजस्व मुकदमों का बोझ बढ़ता जा रहा है। राजस्व से जुडे़ विवाद इन दिनों बढ़ते जा रहे हैं। राजस्व अदालतों में ज्यादातर मामले बंटवारे, खारिज दाखिल, भूमि विवाद आदि के आते हैं। कई बार वरासत के मामलों में सुलझने में लंबे वक्त लग जाते हैं। इस बीच लोगों को अदालतों का चक्कर लगाना पड़ता है। दरअसल, उप जिलाधिकारियों का अधिकतर वक्त कानून व्यवस्था दुरूस्त करने से लेकर सरकारी योजनाओं के क्रियांवयन एवं शिकायती पत्रों के निस्तारण में गुजर आता है। तहसीलदारों के साथ भी यही होता है। ऐसे में कोर्ट के लिए समय कम मिलता है।

जिले में कलेक्ट्रेट और तहसीलवार लंबित मुकदमों पर एक नजर

कलेक्ट्रेट
न्यायालय का नाम- लंबित वादों की संख्या
जिलाधिकारी- 983
एडीएम वित्त एवं राजस्व- 1912
एडीएम न्यायिक- 1334
सहायक महानिरीक्षक स्टांप- 0
अपर नगर मजिस्ट्रेट- 445
अतिरिक्त उप जिलाधिकारी- 434
कुल योग- 5108

तहसील का नाम- पडरौना
एसडीएम- 2528
तहसीलदार- 2521
तहसीलदार न्यायिक- 2231
नायब तहसीलदार पडरौना- 609
नायब तहसीलदार खड्डा- 615
नायब तहसीलदार कोटवा- 620
कुल योग- 9124

तहसील हाटा-
एसडीएम- 1657
तहसीलदार- 1514
तहसीलदार न्यायिक- 1378
नायब तहसीलदार हाटा- 1130
नायब तहसीलदार कप्तानगंज- 0
योग- 5679

तहसील तमकुहीराज-
एसडीएम- 1314
एसडीएम न्यायिक- 475
तहलीलदार- 6700
नायब तहसीलदार तरया- 3392
नायब तहसीलदार दुदही- 3337
योग- 15218

तहसील कसया-
एसडीएम- 2308
एसडीएम न्यायिक- 0
तहसीलदार- 4526
नायब तहसीलदार- 2365
नायब तहसीलदार- 3548
योग- 10382

तहसील खड्डा-
एसडीएम- 793
तहसीलदार- 2024
नायब तहसीलदार खड्डा- 12
योग- 2829

तहसील कप्तानगंज-
एसडीएम- 733
तहसीलदार- 2552
नायब तहसीलदार- 1028
योग- 4313
महायोग- 52653

बोले-वादकारी
बंटवारे का वाद दाखिल किया है। करीब चार साल गुजर गए हैं। तमकुहीराज तहसील में आने पर तारीख ही मिलती है। निस्तारण की निकट भविष्य में कोई उम्मीद नहीं दिख रही है।
चंद्रलाल, वादकारी, तरयासुजान
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चार वर्ष पहले मां सैरून निशा के नाम से गांव में ही जमीन खरीदी गई थी। अभी तक हाटा तहसील में खारिज दाखिल नहीं हो पाया है। इससे जमीन पर कब्जा नहीं मिला है। उस पर खेती करने के हक से अभी तक वंचित हैं।
आदिल, पड़री
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एक वर्ष से मुकदमा एसडीएम कोर्ट में लंबित है। धारा 24 के तहत मामला चल रहा है। जब भी तारीख पड़ती है तो तहसील आना पड़ता है। निस्तारण की गति देखकर लग रहा है, अभी ज्यादा वक्त लगेगा।

भगवान दास, हनुमानगढि़या
मुकदमों का निस्तारण गुणदोष के आधार होता है। राजस्व के मामले ज्यादा उलझे होते हैं, इस वजह से समय लगता है। जिम्मेदारियां अधिक होने के कारण अधिकारी भी समय से कोर्ट में नहीं बैठ पाते हैं, क्योंकि उनके पास प्रशासनिक काम ज्यादा होता है।
अनिल ठाकुर, अधिवक्ता, सदर तहलील

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