खाने-पीने के भी लाले पड़े बाढ़ से घर छूटा बंधे पर प्लास्टिक तानकर गुजार रहे रात

उत्तर प्रदेश कुशीनगर

सफल समाचार 
प्रवीण शाही 

बंधे पर प्लास्टिक तानकर गुजार रहे रात, अफसरों ने जाना हाल

पडरौना/तमकुहीरोड। नरवाजोत बंधे पर शरण लिए मोतीराय टोला के बाढ़ पीड़ित दुर्दशा में हैं। बाढ़ से घर तो छूट ही गया है खाने-पीने के भी लाले पड़ गए हैं। पशुओं के लिए चारा का इंतजाम भी नहीं है। प्रशासन की ओर से कोई इंतजाम अब तक नहीं किया जा सका है। प्लास्टिक तान कर लोग परिजनों के साथ रात गुजारने के लिए मजबूर हैं। यही हाल उनके पशुओं का भी है। समय पर चारा उपलब्ध नहीं होने से बाढ़ पीड़ितों के मवेशी भूख रह रहे हैं।
तीन दिन पूर्व गंडक नदी में डिस्चार्ज बढ़ने से पिपराघाट एहतमाली गांव के मोतीराय टोला में बाढ़ आ गई। इसकी वजह से लोगों ने बंधे पर शरण ली है। शुक्रवार को मामूली पानी कम हुआ, लेकिन परेशानी जस की तस बनी हुई है। सड़क पर कमर तक पानी भरा है और मकान डूबे हैं। नरवाजोत बांधे पर रात गुजार रहे लोगों को बारिश की वजह से परेशानी हो रही है। बारिश और धूप से बचाव के लिए प्लास्टिक तान रखा है।

गांव के प्रहलाद यादव, नत्थू गोड़, अंगद यादव, किशोर गोड़, ध्रुप यादव, शर्मा साह, रामायन यादव, गनेश गोड़, मोचन यादव, छबीला यादव का आरोप है कि प्रशासन की ओर से नाव का इंतजाम नहीं कराया गया है। भोजन की भी कोई व्यवस्था नहीं है। हालांकि, गंडक का डिस्चार्ज घटने के बाद गांव से पानी थोड़ा कम हुआ है। बाढ़ इलाके का भ्रमण करने पहुंचे अफसरों ने बाढ़ पीड़ितों को मदद के निर्देश दिए हैं।

एसडीएम पहुंचे बाढ़ पीड़ितों तक, नाव का कराया इंतजाम
बाढ़ पीड़ितों की बदहाली की खबर शुक्रवार को अमर उजाला में प्रकाशित होने के बाद अफसर बाढ़ प्रभावित गांव पहुंचे। तमकुहीराज के एसडीएम विकास चंद्र ने बताया कि बंधे पर रहने वाले बाढ़ पीड़ितों को परिषदीय स्कूल में रखने के निर्देश दिए गए हैं। एक नाव का भी इंतजाम कराया गया है। मैं खुद बाढ़ क्षेत्र में गया था। बाढ़ग्रस्त इलाकों में नजर रखी जा रही है। एसडीएम के साथ तहसीलदार मान्धाता प्रताप सिंह, एसडीओ रमेश यादव, जेई सुनील कुमार यादव, कानूनगो जयंत गुप्ता मौजूद रहे।

गंडक नदी ने बदला रुख, महादेवा का कटान रुका
कटान रोकने के लिए दो साल में खर्च हो चुके थे साढ़े तीन करोड़ रुपये
संवाद न्यूज एजेंसी
खड्डा। महादेव गांव के करीब पहुंची गंडक नदी ने अचानक रुख बदल दिया। इसकी वजह से अब इस गांव का अस्तित्व बचने की उम्मीद लोगों में बढ़ गई है। कई वर्षों से बाढ़ से प्रभावित गांव वालों को रेलवे लाइन के किनारे शरण लेनी पड़ती थी।
खड्डा ब्लॉक के महदेवा व सालिकपुर गांव के आठ हजार लोग अब राहत महसूस कर रहे हैं। पिछले पांच सालों में गंडक नदी तीन किमी दूर से कटान करती हुई गांव के पास पहुंच गई थी। गांव वालों को हर साल बरसात में गांव छोड़कर रेलवे लाइन के किनारे शरण लेनी पड़ती थी। इस बार भी गांव वाले तैयारी में थे, लेकिन अचानक नदी की धारा मुड़ गई और गांव वाले राहत महसूस कर रहे हैं।
गांव को बचाने के लिए कटान रोकने पर दो वर्ष में करीब साढे़ तीन करोड़ से अधिक रुपये खर्च हो चुके हैं। लेकिन इससे कोई फायदा नहीं हुआ। नदी के करीब पहुंचने के चलते पिछले वर्ष 22 परिवारों से घर खाली करा दिया गया था। बरसात में बाढ़ के पानी से महदेवा गांव के साथ सालिकपुर गांव भी डूब जाता था। नदी में पानी का डिस्चार्ज तीन लाख क्यूसेक होने के बावजूद गांव में बाढ़ का पानी नहीं पहुंच सका। नदी का रास्ता बदलने पर गांव वाले नारायणी माता की कृपा बता रहे हैं।

क्षतिग्रस्त बांध के हिस्से की तीसरे दिन भी जारी रही मरम्मत
फोटो है।

खड्डा। छितौनी तटबंध के क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत का कार्य तीसरे दिन भी जारी है। पानी का बहाव रुक गया है। टूटे हुए हिस्से को भरा जा रहा है। पूरे बंधे की निगरानी बढा़ दी गई है। इस घटना से बाढ़ पूर्व तटबंध सुरक्षा के लिए किए गए तैयारी का विभागीय दावा फेल हो गया है।
बुधवार को छितौनी तटबंध के 0.200 किलोमीटर के पास बने साइफन के बगल से शुरू हुए पानी के रिसाव को बाढ़ खंड के अभियंताओं ने गंभीरता से नहीं लिया। इसका नतीजा हुआ कि बांध टूट गया। बाढ़ खंड हर वर्ष दावा करता है कि बाढ़ पूर्व तटबंधों के बचाव की तैयारी कर ली जाती है। लेकिन जब बांध में रिसाव शुरू हुआ और तटबंध टूटा तो आपात स्थिति से निबटने तक के लिए बाढ़ खंड के पास कोई व्यवस्था नहीं थी। बचाव के नाम पर अगल-बगल के पेड़ व डाली काटकर, पानी का बहाव रोकने का प्रयास शुरू हुआ। गनीमत रही कि नदी का जलस्तर कम हो गया और राहत मिल गई। अन्यथा विभागीय तैयारी के भरोसे इसे रोकना असंभव हो जाता।
बांध टूटने के तीसरे दिन नदी की तरफ बोरी भरकर पानी रोकने के साथ ही गड्ढे को पाटने का कार्य बाहर से मिट्टी मंगाकर चल रहा है। अभी बांध के टूटे हुए जगह को पूरी तरह भरा नहीं जा सका है। कार्य प्रगति पर है। नदी के जलस्तर में कमी बनी हुई है। फिलहाल, इस खतरे पर काबू पा लिया गया है। मौके पर बाढ़ खंड के अभियंता मौजूद हैं।
इस संबंध में बाढ़ खंड खड्डा क्षेत्र के एसडीओ मनोरंजन कुमार ने बताया कि तटबंध के टूटे हिस्से की मरम्मत का कार्य तेजी से चल रहा है। पूरे बंधे की निगरानी की जा रही है। हालात काबू में है।

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