गोरखपुर में खून माफिया: मेडिकल कॉलेज प्रशासन दे रहा क्लीनचिट, पुलिस की जांच में दागी

उत्तर प्रदेश गोरखपुर

सुनीता राय
सफल समाचार

गोरखपुर। दूसरों की भलाई के नाम पर मजदूरों को गुमराह कर उनका खून बेचने वाले माफिया पर पुलिस का शिकंजा कस रहा है। आरोपियों पर जल्द ही गैंगस्टर की कार्रवाई की तैयारी है। हालांकि पुलिस के लिए परेशानी वाली बात यह है कि उनकी जांच में जो भी कर्मचारी संदिग्ध मिल रहा है, बीआरडी मेडिकल कॉलेज की आंतरिक जांच में उसे क्लीनचिट मिल जा रही।

मेडिकल कॉलेज में लंबे समय से मरीजों को निजी अस्पतालों में बेचने, खून बेचने आदि के मामले चर्चा में रहते थे। अमर उजाला ने सिलसिलेवार खबरें प्रकाशित कीं तब पुलिस-प्रशासन ने भी इस मामले में जांच-पड़ताल शुरू की। पुलिस की सख्त निगहबानी के चलते ही खून माफिया का पूरा नेटवर्क सामने आया।

जैसे ही यह मामला चर्चा में आया, मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने भी अपनी तरफ से जांच के लिए टीम गठित कर दी। कॉलेज की टीम ने अपनी रिपोर्ट में कर्मचारियों को निर्दोष बताया। हालांकि, पुलिस की जांच में आरोपियों की हरकतें संदिग्ध दिखीं। जांच के दौरान ही यह बात सामने आई कि मेडिकल कॉलेज में लगे सीसीटीवी कैमरे का फुटेज ही डिलीट कर दिया गया है।

इसके बाद पुलिस ने सीडीआर की मदद से जांच की तो एक और कर्मचारी पर संदेह गहरा गया। ब्लड बैंक के इस चिह्नित कर्मचारी की तलाश में पुलिस जुटी है। उधर, जब पुलिस प्रशासन ने सख्ती की तो आनन-फानन संविदा के दो कर्मचारियों को हटा दिया गया। मामला फिर चर्चा में आया तो उसे दबाने के लिए अलग-अलग कहानियां बताई गईं, लेकिन अब खबर है कि जैसे ही पुलिस आरोपी की गिरफ्तारी के बाद सूचना देगी, मेडिकल कॉलेज प्रशासन उस पर कार्रवाई करेगा।

प्राचार्य डॉ. गणेश कुमार ने कहा कि जिस कर्मचारी की भूमिका इस मामले में सामने आई है, उसके खिलाफ कार्रवाई होनी तय है। संविदा के दोनों कर्मचारियों को हटा दिया था। पुलिस की जांच में जिस नए कर्मचारी का नाम आएगा, उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

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