रिन्कु तिवारी
सफल समाचार
चकबंदी आयुक्त उत्तर प्रदेश के आदेश के क्रम में तहसील क्षेत्र के दलन छपरा गांव के बहुचर्चित चकबंदी प्रकरण में चार बंदोबस्त अधिकारियों समेत 31 अधिकारियों और कर्मचारियों पर बंदोबस्त अधिकारी के कार्यालय
दलन छपरा निवासी सुशील पांडेय और सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने शासन को भेजे के शिकायती पत्र में चकबंदी के दौरान धांधली कर कूटरचित दस्तावेजों के सहारे किसी की जमीन दूसरे के नाम करने समेत कई गंभीर आरोप लगाए थे। इसकी जांच चकबंदी आयुक्त ने मुख्यालय के अधिकारियों से कराई थी। जांच रिपोर्ट में आरोपों की पुष्टि हुई थी। उपरोक्त अधिकारियों और कर्मचारियों को दोषी पाया गया था। इस पर चकबंदी आयुक्त ने आरोपी अधिकारियों और कर्मचारियों पर एफआईआर कराने के साथ ही छह माह में दस्तावेजों को सही कराने के निर्देश डीएम और वर्तमान बंदोबस्त अधिकारी को दिए थे। आदेश के बाद तत्कालीन बंदोबस्त अधिकारी राधेश्याम, दयानंद सिंह चौहान, धनराज यादव, अनिल कुमार के अलावा ओंकारनाथ, अवधेश कुमार, चकबंदी अधिकारी राजेश कुमार, कमलेश कुमार शर्मा, बरमेश्वर नाथ उपाध्याय, अमरेश चंद्र, विनय कुमार श्रीवास्तव, उमाशंकर, प्रभात कुमार पांडेय, शिव शंकर प्रसाद सिंह, सहायक चकबंदी अधिकारी पुलीराम, हरिशंकर यादव, ओम प्रकाश श्रीवास्तव, जयदेव, चकबंदी कर्ता जुगेश लाल, संत राम, राजेश कुमार पुत्र राम निहोर, राजेश कुमार पुत्र रामनाथ, राजेश कुमार, शशिकांत, केदारनाथ सिंह, लेखपाल सुरेंद्र चौहान, अनिल गुप्त, आयुष कुमार सिंह, ललन यादव, अवितेश उपाध्याय, कन्हैयालाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। मुकदमे की विवेचना कर रहे उप निरीक्षक राज कपूर सिंह ने बताया कि प्रकरण में जांच के बाद आगे की कार्रवाई नियमानुसार की जाएगी।के आरके सुरेश कुमार की तहरीर पर शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कर लिया गया।