सफल समाचार गणेश कुमार
आईएलओ व आईएचडी रिपोर्ट से रोजगार को लेकर केंद्र सरकार के प्रोपेगैंडा की असलियत उजागर हुई
चुनावों में युवा बेरोज़गारी को प्रमुख सवाल बनाकर चलाएंगे मुहिम -राजेश सचान, प्रदेश संयोजक युवा मंच
गरिमापूर्ण रोजगार के लिए हो कानूनी प्रावधान
सोनभद्र।अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) व इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट (आईएचडी) द्वारा प्रकाशित ‘भारत रोजगार रिपोर्ट 2024’ के मुताबिक कुल बेरोजगारों में 83 फीसद युवा हैं। रिपोर्ट में यह भी नोट किया गया है कि साल 2000 में न्यूनतम दसवीं पास शिक्षित युवा बेरोजगारों की संख्या कुल युवा बेरोजगारों में 35.2 फीसद से वर्ष 2022 बढ़कर 65.7 प्रतिशत हो गयी। इसी तरह कुल कामकाजी लोगों में 90 फीसद से ज्यादा असंगठित क्षेत्र में हैं। 2018 के बाद नियमित नौकरियों में गिरावट आई है वहीं संविदा व्यवस्था में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। सामाजिक सुरक्षा के दायरे में कुछेक फीसद वर्क फोर्स ही शामिल है।युवा मंच द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि आईएलओ व आईएचडी द्वारा प्रकाशित ‘भारत रोजगार रिपोर्ट 2024’ से बेकारी के चिंताजनक स्तर पर पहुंच जाने और रोजगार को लेकर किए जा रहे मोदी सरकार के प्रोपेगैंडा की सच्चाई सामने आ गई है। दरअसल वैश्विक कारपोरेट पूंजी के हित में संचालित आर्थिक नीतियों से रोजगार का संकट रोज ब रोज गहराता जा रहा है, असमानता में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन इन जनविरोधी नीतियों में बदलाव के लिए सरकार कतई तैयार नहीं है। यही वजह है कि युवाओं द्वारा संचालित देशव्यापी मुहिम में रोजगार के सवाल को हल करने के लिए वाजिब मांगों को मोदी सरकार ने अनसुना कर दिया। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने भी संविधान के अनुच्छेद 21 एवं नीति निदेशक तत्वों की व्याख्या में माना है कि गरिमापूर्ण रोजगार सुनिश्चित करना राज्य व सरकार का संवैधानिक दायित्व है।युवा मंच प्रदेश संयोजक राजेश सचान ने कहा कि आम चुनावों में रोजगार को मौलिक अधिकारों में शामिल करने, हर परिवार के कम से कम एक सदस्य को सरकारी नौकरी और जब रोजगार की गारंटी न हो तब तक जीविकोपार्जन लायक बेकारी भत्ता, देश में सार्वजनिक क्षेत्र में रिक्त पड़े एक करोड़ पदों को तत्काल भरने, संविदा व्यवस्था खत्म करने और मुफ्त शिक्षा व स्वास्थ्य की गारंटी समेत नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने, रेलवे, बिजली, बैंक, बीमा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निजीकरण पर रोक लगाने और रोजगार सृजन व सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय संसाधनों हेतु ऊपरी एक फीसद अमीरों व कारपोरेट्स पर संपत्ति व इस्टेट ड्यूटी का प्रावधान जैसे ज्वलंत मुद्दों को राजनीतिक विमर्श में लाने के लिए मुहिम चलाई जाएगी।